श्री गुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥
प्रस्तुत है अभिनिवेशिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 29 जून 2022
का सदाचार संप्रेषण
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सदाचार संप्रेषण का मूल उद्देश्य है अपनी संस्कृति अपने साहित्य, इतिहास , धर्म , दर्शन,ज्ञान, अपनी भक्ति, अपनी राष्ट्र-भक्ति की ओर हमें उन्मुख करना
रामकथा सुनना और रामकथा को अपने अन्तर में प्रवेश करा देना सदाचार का विशाल विस्तृत तात्त्विक पक्ष है क्योंकि राम स्वयं में तत्त्व, शक्ति, भक्ति और विचार हैं संसार भी हैं संसारेतर भी हैं
राम का रामत्व एक एक कण और एक एक क्षण में यदि वक्ता प्रदर्शित नहीं कर पाता तो समझना चाहिये कि वह रामचरित्र नहीं गा रहा बल्कि इधर उधर की बातें कर रहा है
अयोध्या कांड इस प्रकार प्रारम्भ होता है
जब ते रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥
भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥1॥
भगवान राम का विवाह हो गया है एक ओर राजतिलक की तैयारियां तो दूसरी ओर वनवास
तुलसी का कौशल तो अद्भुत है
दशरथ लौटकर आये अपने प्रधान सचिव सुमन्त से पूछते हैं
राम कुसल कहु सखा सनेही। कहँ रघुनाथु लखनु बैदेही॥
आने फेरि कि बनहि सिधाए। सुनत सचिव लोचन जल छाए॥2॥
लेकिन राम तो राम हैं पिता का वचन खाली न जाये यह उनका धर्म है
आगे रामु लखनु बने पाछें। तापस बेष बिराजत काछें।।
उभय बीच सिय सोहति कैसे। ब्रह्म जीव बिच माया जैसे।।
रथु हाँकेउ हय राम तन हेरि हेरि हिहिनाहिं।
देखि निषाद बिषाद बस धुनहिं सीस पछिताहिं॥99॥
जासु बियोग बिकल पसु ऐसें। प्रजा मातु पितु जिइहहिं कैसें॥
बरबस राम सुमंत्रु पठाए। सुरसरि तीर आपु तब आए॥1॥
मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥
चरन कमल रज कहुँ सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई॥2॥
छुअत सिला भइ नारि सुहाई। पाहन तें न काठ कठिनाई॥
तरनिउ मुनि घरिनी होइ जाई। बाट परइ मोरि नाव उड़ाई॥3॥
एहिं प्रतिपालउँ सबु परिवारू। नहिं जानउँ कछु अउर कबारू॥
जौं प्रभु पार अवसि गा चहहू। मोहि पद पदुम पखारन कहहू॥4॥
पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौं।
मोहि राम राउरि आन दसरथसपथ सब साची कहौं॥
बरु तीर मारहुँ लखनु पै जब लगि न पाय पखारिहौं।
तब लगि न तुलसीदास नाथ कृपाल पारु उतारिहौं॥
सुनि केवट के बैन प्रेम लपेटे अटपटे।
बिहसे करुनाऐन चितइ जानकी लखन तन॥100॥
आचार्य जी ने इनका बहुत कौशल से वर्णन किया
राम कथा अद्भुत है विशेष रूप से उत्तर भारत की क्योंकि उत्तर भारत में ही अधिकांश संघर्ष हुए हैं
इसके अतिरिक्त
The World Is Too Much with Us का उल्लेख आचार्य जी ने क्यों किया भैया मोहन कृष्ण और भैया शौर्यजीत का नाम क्यों लिया यूपियन क्या है जानने के लिये सुनें