30.6.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 30 जून 2022 का सदाचार संप्रेषण

 दश लक्षणानि धर्मस्य ये विप्राः समधीयते । अधीत्य चानुवर्तन्ते ते यान्ति परमां गतिम् ।


प्रस्तुत है युक्तिज्ञ आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 30 जून 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 



 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w



मनुष्य स्वभाव के अनुसार सुविधा और सुलभता की चाह करता है और इसी कारण मनुष्य जीवनभर सुख की खोज करता है


सुख समुद्र वृत्ति वाली इन्द्रियों से संयुत है सब प्रकार की आपूर्ति के पश्चात् भी इन्द्रियां अतृप्त रहती हैं


इसी कारण सदाचार का एक विषय रहता है कि हम इन्द्रिय -संयम रखें



हम लोग समाजोन्मुखी जीवन जीने की इच्छा रखते हैं  अपने कार्यव्यवहार पर हमें दृष्टि रखनी चाहिये और कुछ न कुछ करने के लिये चिन्तन भी करना चाहिये


आचार्य जी ने  पूज्य गुरु  जी के विभिन्न आयामों को उकेरती छह खंडों वाली पुस्तक श्री गुरु जी समग्र की चर्चा की


पूज्य गुरु जी माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर किसी भी पत्र को अनुत्तरित नहीं छोड़ते थे


दो पत्रों का उल्लेख करते हुए आचार्य जी ने कहा कि संगठन की  छोटी छोटी घटनायें महापुरुषों के जीवन के उदाहरण अपने जीवन को निर्मल बनाते हैं कार्य शैली को परिमार्जित करते हैं


इसी कारण अध्ययन और स्वाध्याय को व्यक्तिगत जीवन का अंग बनाते हुए हम मनुष्यत्व की अनुभूति कर सकते हैं


मनुष्यत्व की अनुभूति करते हुए संसार की समस्याओं को सुलझाने वाला  प्रयत्न संगठन करने वाले हर व्यक्ति में बना रहना चाहिये


जैसे उदयपुर की घटना पर हम राष्ट्र-भक्तों को चुप नहीं बैठना चाहिये


यही समाज का सहयोग है

सभी राष्ट्र -भक्त हमारे अपने हैं

पौरुष पराक्रम के साथ हम सदैव संयुत रहें इसी का प्रयास आचार्य जी प्रतिदिन करते हैं


आपस में ही झगड़ते रहने पर संगठन   सुदृढ़ नहीं रहता



आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि समस्याओं पर दृष्टि रखते हुए,समाधान के उपाय खोजते हुए ,समाजोन्मुखी जीवन  को हम अपनाएं