8.6.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 8 जून 2022 का सदाचार संप्रेषण

 उधर तूफान की दस्तक 

इधर दीपक टिमकता है ,

कि जैसे प्रेत-गर्जन पर

कुशल मान्त्रिक बिहँसता है। ।


हमें अनुभूति की अभिव्यक्ति में संयम समझना है ,

विवादों को समझकर ही सदा उनसे उलझना है ,

पुरुष पुरुषार्थ का पर्याय या विश्वास होता है ,

कहाँ कब किसलिए कैसे किसे रखना   समझना है। ।



सूझबूझ, संयम,धीरज, अपनों पर विश्वास, अपने देश की आन्तरिक स्थिति का यथार्थ आकलन करते हुए परस्पर विचार-विमर्श करने के बाद ही अपना अभिमत प्रसारित करने में ही स्वदेश का हित होगा ।

वर्तमान राष्ट्रीय और राजनैतिक नेतृत्व का कोई  विकल्प नहीं है वर्तमान समय में ।अतः त्वरा से बचें ।


प्रस्तुत है पृथुयशस् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 8 जून 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


स्थान :उन्नाव


योजना बनाना उसका परिपालन करना उसके परिणामों का परीक्षण करना और पुनः समस्याओं को सुलझाने के लिये उद्यत होना  व्यवहार में परिवर्तित होने वाले मनुष्य जीवन के कुछ सैद्धान्तिक पक्ष हैं


इस समय  परिस्थिति  आसन्न संकट की दिखाई दे रही है विपक्ष एक विषय में एकजुट है कि वर्तमान नेतृत्व( देश का, उत्तर प्रदेश का भी )को अपदस्थ किया जाये इस नेतृत्व को चाहने वाले हम उनसे भ्रमित न हों इसके लिये चिन्तन के साथ सकारात्मक चर्चा की भी आवश्यकता है


वर्तमान प्रधानमन्त्री और उ प्र के वर्तमान मुख्यमन्त्री में सदाचार साधना संयम के साथ सिद्धि प्राप्त करने की भावना भी है


कानपुर शहर काजी हाफिज अब्दुल कुद्दूस हादी के धमकी भरे बयान कि उत्पीड़न पर कफन बांधकर निकलेंगे पर आचार्य जी कहते हैं कि प्रशासन शासन सूझ बूझ से काम करें


सूझबूझ से कदम  बढ़ाने पर हमारा सम्मान होता है कहीं भी बुलडोजर चलाना उचित नहीं है


कानपुर के प्रशासन ने प्रशंसनीय कार्य किया कानपुर के जनप्रतिनिधियों से भी संपर्क करें

 SOCIAL MEDIA पर उपस्थिति दर्ज करने के लिये समर्पित पढ़े लिखे लोगों की आवश्यकता है


ऐसे लोगों को जाग्रत करने की आवश्यकता है युगभारती में भी ऐसे मोहग्रस्त लोग हैं


स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि।


धर्म्याद्धि युद्धाछ्रेयोऽन्यत्क्षत्रियस्य न विद्यते।।2.31।।


भयाद्रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां महारथाः।


येषां च त्वं बहुमतो भूत्वा यास्यसि लाघवम्।।2.35।।


सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।


ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि।।2.38।।


IT के क्षेत्र में जिन्हें महारथ हासिल है उन्हें अभी इसी समय जाग्रत करने की आवश्यकता है


it's no use crying over spilt milk.


समाज को और अधिक जाग्रत करने के लिये संचारतन्त्र को जाग्रत करें


गम्भीरता के साथ छोटी छोटी बैठकें करें अपना काम करते रहें लेकिन आंखें भी खोले रहें सजग रहें


अधिक से अधिक लोगों तक अपनी बात पहुंचायें


नगरों के उत्पातों का व्यापक प्रभाव होता है ये गांव तक न पहुंचें इस ओर भी ध्यान देना है जनमानस में अविश्वास  हो ऐसे कदम उठाने से बचें