9.6.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 9 जून 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है आसनबन्धधीर आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 9 जून 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w




हर साधक साधनाओं की भिन्न भिन्न पद्धतियां अपनाता है

जहां व्यक्ति समूह बन जाता है वहां वह ईश्वर का स्वरूप लेने लगता है समूह का संस्कारित और पारिवारिक रूप होना आवश्यक है तभी वह ईश्वरत्व की ओर उन्मुख होता है अन्यथा वही समूह विध्वंसक हो जाता है


हम सौभाग्यशाली हैं कि हम उस समूह के हिस्से हैं जो ईश्वरत्व का बोध कराता है


हम और भी सौभाग्यशाली हैं कि आचार्य जी प्रतिदिन इन सदाचार संप्रेषणों के माध्यम से हमें यह स्मरण कराते हैं कि राष्ट्र -निष्ठा से परिपूर्ण समाजोन्मुखी व्यक्तित्व का उत्कर्ष हमारा लक्ष्य है वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए हमें सजग जागरूक रहने की आवश्यकता है ध्यान धारणा स्वाध्याय चिन्तन मनन की ओर उन्मुखता बनाये रखें सकारात्मक सोच रखें


व्यक्तिगत पारिवारिक सामाजिक आदि परिस्थितियां यदि मनोनुकूल नहीं हैं तो भी साधक द्वारा मन को प्रयासपूर्वक शिथिलीकरण में ले जाना  चाहिये


राष्ट्र के प्रति सुस्पष्ट दृष्टि रखने वाले चिन्तक विद्वान प्रो. कपिल कुमार के एक इंटरव्यू की चर्चा करते हुए आचार्य जी ने बताया कि इस इंटरव्यू का मूल विषय था कि किस प्रकार नौकरशाही संगठित होकर देश को खोखला करने के प्रयास में लगी रहती है राजतन्त्र के हिसाब से लोकतन्त्र को चलाने वाले परिवारों को संपोषित करना स्वार्थों की पूर्ति करना जनमानस को भ्रमित करना आदि इसके लक्ष्य हैं


हमारी शिक्षा बहुत प्रदूषित हो गई और हम धंसते चले गये

प्रायः यह चिन्तन घर घर प्रवेश कर गया है कि हम स्वयं तो सुविधाभोगी बनें और दूसरे त्यागी तपस्वी चिन्तक बनें


ऐसी स्थिति में उपदेश खोखले सिद्ध होते हैं


एक समाचार था

लखनऊ में एक नाबालिग बच्चे ने अपनी मां की हत्या कर दी

शुरुआती जांच में बच्चे का PUBG खेलना इसका कारण माना गया

शिक्षा का ऐसा विकृत रूप ऐसी आधुनिकता चिन्ताजनक है


नई पीढ़ी सही दिशा में नहीं जा रही है हम लोगों को आत्मचिन्तन  विचारों का मन्थन करने की आवश्यकता है


पैनी दृष्टि रखें मीडिया देशद्रोहियों से दूरी बनाये

आमदनी के लिये जहर का व्यापार करना कैसे उचित हो सकता है


आमदनी रह जायेगी आदमी चला जायेगा


हम लोग ध्यान धारणा स्वाध्याय प्राकृतिक वातावरण का आनन्द लेने वाले कार्यक्रम भी बनायें