11.7.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 11 जुलाई 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है  प्रोथ आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 11 जुलाई 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 



 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

समीक्षा क्रम सं 347



अपने दिल्ली प्रवास के दौरान 23 अगस्त 2015 को रोहिणी में लिखे लेख को उद्धृत करते हुए कल आचार्य जी ने बताया था



एक संगठनकर्ता को जिज्ञासु, स्वाध्यायी,विवेकशील,कर्मानुरागी, विश्वासी, आत्मगोपी और अप्रतिम प्रेमी होना चाहिये साथ ही उसे सचेत, सक्रिय, सतर्क और सोद्देश्य रहना चाहिये


वह आत्मचिन्तन के लिये भी समय निकाले  आत्मचिन्तन की जिज्ञासाओं,मैं कौन हूं मेरा कर्तव्य क्या है और मेरा प्राप्तव्य क्या है,का शमन ही आनन्दमय जीवन का रहस्य है

 अब आगे


यह बात ठीक है कि सबकी क्षमताएं एक समान नहीं होती सांसारिक सुख वैभव और यशस्विता की प्राप्ति की कामना प्रायः सभी की समान होती है अपनी बेइज्जती कोई नहीं चाहता

यशस्विता की भावी चाह के साथ संस्कारों के माध्यम(अर्थात्  घर से लेकर समाज तक फैली शिक्षा) से वर्तमान का कर्तव्य बोध भी जाग्रत हो जाये तो  मानो आनन्द प्राप्ति के प्रथम सोपान पर हमने पैर रख दिया है

युगभारती एक वैचारिक संगठन है विचार आचरण का प्राणतत्त्व है

लेकिन दुर्विचार दुर्नीति की ओर प्रेरित करते हैं इसलिये सद्विचार बने रहने की आवश्यकता होती है इसके लिये तन स्वस्थ मन प्रसन्न बुद्धि प्रखर और चित्त शान्त होना चाहिये

और इसीलिये 

सात्विक पौष्टिक भोजन, उचित व्यायाम, ध्यान धारणा प्राणायाम, सद्संगति और मनोनुकूल रचनात्मक क्रियात्मकता की ओर हमारी उन्मुखता महत्त्वपूर्ण है



कल सरौंहां में युगभारती परिवार के सदस्यों भैया वीरेन्द्र त्रिपाठी जी भैया शौर्यजीत भैया दिनेश प्रताप, भैया मुकेश जी भैया सुनील जी आदि और दीनदयाल विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री राकेश त्रिपाठी जी के साथ आचार्य जी ने विचारविमर्श किया अपनों के सान्निध्य में सभी को अत्यन्त आनन्द की अनुभूति हुई और सबने स्मृतियां संजोकर रख लीं

स्मृतियां मनुष्य की निधि होती हैं इन्हीं स्मृतियों के आधार पर ऋषियों ने स्मृतिग्रंथों की रचना की

मानवजीवन की विधिव्यवस्था के इन मार्गदर्शक ग्रंथों से अपने साथ साथ भावी  पीढ़ी को परिचित कराना आवश्यक है


संसार तो प्रपंचों से भरा हुआ है और इसी कारण यह प्रातः का भावनात्मक प्राणायाम रूपी सदाचार संप्रेषण हम सबको ऊर्जावान बनाता है


इसके अतिरिक्त अध्यात्म को आचार्य जी ने किस तरह आज परिभाषित किया आगामी 13 जुलाई और 17 जुलाई का उल्लेख क्यों किया, मुख्य वक्ता के रूप में किस प्रसंग का उल्लेख किया जानने के लिये सुनें