प्रस्तुत है अध्यात्म -वर्त्मनी आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 12 जुलाई 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
समीक्षा क्रम सं 348
यह हम लोगों का सौभाग्य है कि आचार्य जी हमें अनवरत प्रभावशाली सद्विचार प्रेषित करते रहते हैं
सफल कर्मानुरागी वही होता है जो परमात्मा की लीला पर विश्वास करता हुआ आगे चलता है
सोशल मीडिया से भी हम सद्विचार ग्रहण कर सकते हैं
और उसके दूषित वातावरण से दूर रह सकते हैं
जड़ चेतन गुण दोषमय संसार से हम क्या ग्रहण कर सकते हैं ये हमारा प्रारब्ध,हमारा मन्तव्य,हमारे कर्म, विचार, संस्कार तय करते हैं
आचार्य जी स्वयं एक सफल कर्मानुरागी हैं और उन्हीं से प्रेरित हुए हमारे छोटे बड़े सत्कार्यों से वे संतुष्टि का अनुभव करते हैं
गीता उपनिषद् मानस वेद आदि से हम अच्छी चीजें ग्रहण करते रहें
मनुष्य को मनुष्यत्व जाग्रत करने का प्रयास यदि भा गया तो वह माध्यम निकाल लेता है
इसी कारण हम इस सदाचार संप्रेषण की प्रतिदिन प्रतीक्षा करते हैं
प्रातःकाल जल्दी जागना धर्म का एक सोपान है
प्रातर्विधि के पश्चात् हमें ध्यान में रत होना चाहिये
लोभ लिप्सा के कार्यों के अतिरिक्त परोपाकारी कार्य भी होते हैं जिन्हें हम कर सकते हैं
अपने भीतर बैठा परमात्मा इस जीवात्मा से इस संसार में ही रहते हुए ऐसे महत्त्वपूर्ण कार्य करवा लेता है जो उसे स्वयं ही नहीं मालूम
हेरत हेरत हे सखी, रह्या कबीर हिराई।
बूँद समानी समुंद मैं, सो कत हेरी जाइ॥
साधना की चरम अवस्था में जीवात्मा का अहंभाव नष्ट हो जाता है। अद्वैत की अनुभूति जाग्रत होने के कारण आत्मा का पृथकता का बोध समाप्त हो जाता है। अंश आत्मा अंशी परमात्मा में लीन होकर अपना अस्तित्व मिटा देता है।
इसके लिये आचार्य जी ने शर्मा जी का रसायनविज्ञान के अध्ययन वाला रोचक प्रसंग बताया
ऐसे कुछ लोगों का चयन परमात्मा करता है
उसकी योजना से सृष्टि के, समस्याओं के उतार चढ़ाव के हम लोग बहुत अभ्यासी हैं
आचार्य जी ने स्त्री पर्व महाभारत का उल्लेख करते हुए बताया कि एक अरब छाछठ करोड़ बीस हजार वीर समराङ्गण में बलिदान हो गये
अब कलियुग आ गया है और यह सब ऐसे ही चलता रहेगा इसलिये
हारिये ना हिम्मत बिसारिये न राम,
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम।
इसके अतिरिक्त भैया आशीष जोग,भैया प्रकाश शर्मा, भैया शौर्यजीत का नाम आचार्य जी ने क्यों लिया जानने के लिये सुनें