15.7.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 15 जुलाई 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है  भार्गव आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 15 जुलाई 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

समीक्षा क्रम सं 351



हमारे ऋषि वेदों से लेकर राम चरित मानस तक सिलसिलेवार ज्ञान का ऐसा दीपक जलाते रहे जिससे हम अपनी अज्ञानता दूर करते रहे हैं हमें ज्ञात हुआ कि विज्ञान का आधार भी ज्ञान है परमात्मा एक है तो भी अनेक हो जाता है, पार जाने के बाद भी कुछ दिखाई देता है


हमें प्रयास करते रहना चाहिये कि हम अपनी अज्ञानता दूर करते रहें



ईशावास्योपनिषद् में


हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्‌।

तत् त्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ॥


सच्चाई का चेहरा  सुनहरे ढक्कन से ढका है

हे  सूर्यदेव!  सत्य के विधान को पाने के लिये साक्षात् दर्शन हेतु आप वह ढक्कन हटा दें

भक्त अपने मनोरथों की पूर्ति हेतु अनेक उपाय करता है जैसे राजा दशरथ ने पुत्रेयष्टि यज्ञ किया उन्हें पुत्र प्राप्त हुए दशरथ का संसार में लगा हुआ चक्रवर्ती कर्मों का भाव राम प्रेम में समाहित हो गया

फिर दूसरी परिस्थितियां भी आईं


कीर के कग्गर ज्यों नृपचीर विभूषन उप्पम अंगनि पाइ।

औध तजी मगबास के रुख ज्यों पंथी के साथी ज्यों लोग लुगाइ ॥

संग सुबंधु पुनीत प्रिया, मनो धर्म क्रिया धरि देह सुहाई।

राजीव लोचन राम चले, तजि बाप को राज, बटाऊ की नाईं॥


कमल के समान नेत्रवाले राम अपने पिता के राज्य को छोड़कर पथिक की भाँति चल पड़े।


ईशावास्योपनिषद् में ही


पूषन्नेकर्षे यम सूर्य प्राजापत्य व्यूह रश्मीन्‌ समूह।

तेजो यत् ते रूपं कल्याणतमं तत्ते पश्यामि

योऽसावसौ पुरुषः सोऽहमस्मि ॥


हे  प्रकाशदाता ! आप अपनी किरणों को व्यूहबद्ध  व्यवस्थित कर, अपने प्रकाश को एकत्र कर लें जो तेज आपका सर्वाधिक कल्याणकारी रूप है वह रूप मैं देखता हूं।

वहां, वहां जो पुरुष है वही हूँ मैं।


वही हूं मैं की स्थायी अनुभूति होने लगे तो हम संसार में रहते हुए इसकी समस्याओं से व्याकुल नहीं होंगे


ये सब वास्तविक ज्ञानवर्धक बातों को आजीवन शिक्षक धर्म का पालन करने वाले आचार्य जी हमें बता रहे हैं तो इसका लाभ भी हमें लेना चाहिये



जैसे आचार्य जी ने राष्ट्र सेवा का संकल्प लिया उसी तरह हम  कुछ भी कर रहे हों  तो भी राष्ट्र सेवा का भाव सदैव हमारे अन्दर विद्यमान रहना चाहिये कंपित करता रहना चाहिये 

देश की सेवा परमार्थ है



इसके अतिरिक्त भैया विभास जी भैया सुनील जौहरी जी भैया अनिल जौहरी जी का नाम क्यों आया जानने के लिये सुनें