आयुःसत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धनाः।
रस्याः स्निग्धाः स्थिरा हृद्या आहाराः सात्त्विकप्रियाः।।17.8।।
(आयु,शुद्धि , बल, आरोग्य, सुख और प्रसन्नता बढ़ाने वाले, स्थिर रहने वाले, हृदय को ताकत देने वाले, रसयुक्त तथा चिकने -- भोजन करने के पदार्थ सात्त्विक मनुष्य को प्रिय होते हैं-गीता )
प्रस्तुत है नियोद्धृ आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 2 जुलाई 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
इन सदाचार संप्रेषणों का लाभ हमें तभी मिलेगा जब हम इन्हें सुनेंगे, गुनेंगे, विचार करेंगे और व्यवहार के लिये भी उद्यत और उत्सहित होंगे
हमारे ऋषियों ने स्मृति ग्रंथों में हमारे व्यक्तिगत, पारिवारिक,सामाजिक, वैश्विक कर्तव्यों का उल्लेख किया है हर क्षेत्र में शुद्धता पर बहुत ध्यान दिया गया ताकि शारीरिक मानसिक चारित्रिक शुद्धता से हम प्रबुद्ध रहें
कल्याण के हिन्दू -संस्कृति अङ्क में पृष्ठ 527 से 533 में सात्विक आहार -विवेक नामक लेख में आहार -विवेक का बहुत अच्छा वर्णन है इस पर हम कभी विचार विमर्श करें
हमारे मन मस्तिष्क को विकृत करने की चेष्टा के परिणामस्वरूप हम अपने कर्तव्य भूल गये परमात्मा का चिन्तन भूल गये शिक्षा को विकृत करने से ये ढोंग लगने लगे
भारतभूमि का पूरा विश्व ही प्रशंसक है हम राष्ट्रभक्तों का कर्तव्य है कि इसकी रक्षा, सेवा,संस्कृति के प्रति श्रद्धा /समर्पण
और इसके इतिहास पर विश्वास करें
सामाजिक बुराइयों को दूर करने के अपने प्रयत्नों पर भी विचार करें सामाजिक कार्य करने का आनन्द प्राप्त करने के लिये स्वार्थ को दरकिनार करना होगा
सम्मान आत्मीयता प्रेम क्या कम है जो हम सोचें कि हमें मिला क्या
आत्मदृष्टि का नित्य प्रयास करें तो चिन्तन मनन अध्ययन सार्थक होगा इसे लिपिबद्ध भी करें
युगभारती की बात करें तो यह अधिष्ठान चार स्तंभों शिक्षा स्वावलम्बन स्वास्थ्य और सुरक्षा पर खड़ा है प्रयोग के लिये सरौंहां और उन्नाव का विद्यालय है
थोड़ा करने से ही संतुष्ट न हों
शिविर लगायें वृक्षारोपण करें कार्यक्रम करें
संगठित स्वरूप में असीम शक्ति है
वर्तमान सामाजिक परिदृश्य में हम युगभारती परिवारी जन का व्यावहारिक कर्तव्य क्या है इस पर कल होने वाली युगभारती प्रबंधकारिणी समिति की बैठक में समिति सदस्य और विशेष आमन्त्रित सदस्य चर्चा करें