दससीस बिनासन बीस भुजा। कृत दूरि महा महि भूरि रुजा॥
रजनीचर बृंद पतंग रहे। सर पावक तेज प्रचंड दहे॥2॥
( दस सिर एवं बीस भुजाओं वाले रावण को मारकर पृथ्वी के समस्त कष्टों को हरने वाले भगवान् राम जी राक्षस रूपी पतंगे आपके बाण रूपी प्रचण्ड अग्नि से भस्म हो गए )
प्रस्तुत है दैतेयारि आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 4 जुलाई 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
यह अत्यन्त गम्भीर समय है हम सब लोग संसार में रहते हुए वैचारिक जीवन जीने का प्रयास कर रहे हैं इन सदाचार संप्रेषणों से हमें सद्विचार प्राप्त होते रहते हैं शौर्य प्रमंडित अध्यात्म हम राष्ट्रभक्तों के जीवन का अंग बना रहे सांसारिक प्राप्तियों में हमारी संतुष्टि बनी रहे,चिन्ता चिन्तन व्यावहारिक स्वरूप लें समाज शक्तिशाली बने आचार्य जी इसका प्रयास करते रहते हैं
अपने परिवेश के प्रशासनिक अधिकारियों से हमारा परिचय होना चाहिये उनकी प्रकृति जानें लेकिन उनमें जो स्वार्थ में रत हैं दुर्भावनाग्रस्त हैं उनसे दूरी बना लें
कौन अपना है कौन पराया यह देखते हुए सतर्क रहें
विवेक के साथ अपने को सुरक्षित और संगठित रखें
अपने घर में उत्साह और हिम्मत बंधी रहे,आत्मशक्ति आत्मविश्वास में वृद्धि हो इसके लिये नित्य प्रार्थना करें
उत्तरकांड में शिव जी ने भगवान् राम की प्रार्थना की
जय राम रमारमनं समनं। भवताप भयाकुल पाहि जनं॥
अवधेस सुरेस रमेस बिभो। सरनागत मागत पाहि प्रभो॥1॥
दससीस बिनासन बीस भुजा। कृत दूरि महा महि भूरि रुजा॥
रजनीचर बृंद पतंग रहे। सर पावक तेज प्रचंड दहे॥2॥
महि मंडल मंडन चारुतरं। धृत सायक चाप निषंग बरं।
मद मोह महा ममता रजनी। तम पुंज दिवाकर तेज अनी॥3॥
मनजात किरात निपात किए। मृग लोग कुभोग सरेन हिए॥
हति नाथ अनाथनि पाहि हरे। बिषया बन पावँर भूलि परे॥4॥.......