5.7.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 5 जुलाई 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है मन्त्रदर्शिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 5 जुलाई 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 



 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w



समाज के मानस के परिपुष्ट व समृद्ध होने चिन्तनयुक्त होने और कर्मशील होने से परिवर्तन संभव होता है सरकारों के आने जाने से फर्क नहीं पड़ता क्यों कि सरकार में काम करने वालों की शैली तेली के बैल की तरह की हो जाती है


हम लोगों का जीवन भी प्रायः तेली के बैल की तरह का हो जाता है लेकिन हमारी गति को दिशा और दृष्टि मिल जाये तो हमारी उन्नति होती जाती है


ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।


सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।2.62।।


क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।


स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।2.63।।


विषय- चिन्तन से पुरुष की विषयों में आसक्ति हो जाती है उस आसक्ति से इच्छा और इच्छा से क्रोध उत्पन्न होता है।


क्रोध से  मोह, मोह से स्मृति विभ्रम उत्पन्न होता है स्मृति के भ्रमित होने पर बुद्धि का नाश होता है और बुद्धि के नाश से वह मनुष्य नष्ट हो जाता है


कुंठित बुद्धि और दूषित चिन्तन के कारण दुष्ट लोग सिर काट देते हैं उनकी सोच सीमित हो जाती है



सहसा विदधीत न क्रियाम् अविवेकः परमापदां पदम्।

वृणते हि विमृश्यकारिणम् गुणलुब्धाः स्वयमेव सम्पदः॥


अनुचित उचित काजु किछु होऊ। समुझि करिअ भल कह सबु कोऊ।

सहसा करि पाछे पछिताहीं। कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं॥2॥



और हम लोग कहते हैं


यो मां पश्यति सर्वत्र सर्वं च मयि पश्यति।


तस्याहं न प्रणश्यामि स च मे न प्रणश्यति।।6.30।।


जो सबमें मुझे देखता है और सबको मुझमें देखता है, उसके लिये मैं अदृश्य नहीं होता और वह मेरे लिये अदृश्य नहीं होता।



इन सबके बीच में हम लोग अपना जीवन चला रहे हैं हम लोग चिन्तन मनन अध्ययन स्वाध्याय ध्यान संगठन सहयोग सेवा राष्ट्रभक्ति करने के लिये प्रेरित किये जाते हैं


इसीलिये परिवार परिवेश की परिस्थिति देखकर हम लोगों को चिन्तन मनन पूजा ध्यान धारणा भक्ति करनी चाहिये जिससे अपने अन्दर का उद्वेलन शान्त होता है



हम अपने शरीर को एक यात्रा में लगाये रहते हैं हमारी यात्रा अनन्त है अनन्तता परमात्मा की एक विशेष व्यवस्था है परमात्मा निर्विकल्प समाधि में रहकर पुनः सृष्टि की रचना करता है हम न मरते हैं न जन्म लेते हैं


इसके अतिरिक्त 8 जुलाई और 17जुलाई को कौन से कार्यक्रम हैं आचार्य जी ने भैया डा प्रमोद जी भैया डा प्रवीण सारस्वत जी भैया राहुल मिठास जी भैया विनय अजमानी जी का नाम क्यों लिया जानने के लिये सुनें