8.7.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 8 जुलाई 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है शूष आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 8 जुलाई 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 



 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


इस समय देश की भयावह स्थिति है  समाज में उथल पुथल का वातावरण उभर रहा है देश को अस्थिर करने के लिये कुछ लोग लगातार प्रयासरत हैं लेकिन एक ओर उद्वेलन होते हैं तो दूसरी ओर शमन भी आते रहते हैं


हमारे अनुकूल किसी एक व्यक्ति के प्रधानमन्त्री या मुख्यमन्त्री होने से हमें निश्चिन्त होकर नहीं बैठना है

यद्यपि हमारी हिम्मत तो इनसे बढ़ती है ये संकेत हैं और हमें सहारा देते हैं लेकिन 

समाज को सुधारने के लिये संगठन आवश्यक है


जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर किसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं तो उनके बीच स्थापित संबंधों एवं अन्तःक्रियाओं की संरचना को 'संगठन' कहते हैं।


हमारे ऋषियों मुनियों चिन्तकों विचारकों लेखकों ने बखूबी सनातन धर्म का निर्वाह किया है इसी कारण इतने झञ्झावातों के बाद भी हमारा सनातनत्व विनष्ट होने से बचा हुआ है


हम आश्वस्त रहें व्याकुल न हों अन्यथा हमारे अन्दर कमजोरी आयेगी


भय और भ्रम का वातावरण निर्मित होगा


आत्मविश्वास के साथ नित्य  प्रार्थना ध्यान धारणा प्राणायाम अध्ययन स्वाध्याय लेखन सकारात्मक चिन्तन विचार चर्चा करें


आचार्य जी ने भैया डा अमित के प्रश्न पर टिप्पणी करते हुए बताया कथा और घटना में अन्तर है पुराणों और महाभारत में तो अनन्त उपयोगी कथाएं हैं ये हमारे लिये अध्यात्म का मार्ग खोलती हैं

कथाओं को  पढ़ने के बाद उनका सार निकालने की आवश्यकता है


व्यावहारिक दुनिया की समस्याओं को सुलझाने के लिये भी हमें आगे आना होगा


हम अपने कर्तव्य पूरे करते हुए सचेत भी रहें


युगभारती के चारों आयामों के लिये अवसर ही अवसर आते रहते हैं


आधी अधूरी शिक्षा खतरनाक है आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम लोग वैदिक कालीन शिक्षा के बारे में जानकारी जुटाएं


वैदिक कालीन शिक्षा न तो पुस्तकीय ज्ञान में विश्वास रखती थी और न ही जीवकोपार्जन का साधन थी, वह पूर्ण रूपेण नैतिक और आध्यात्मिक ज्ञान का सोपान थी।  शिक्षा का अर्थ था कि किसी व्यक्ति को इस प्रकार से आत्मप्रकाशित किया जाय कि उसका सर्वांगीण विकास होवे


इसके अतिरिक्त भैया राव अभिषेक का नाम क्यों आया

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