प्रस्तुत है सिद्धार्थ आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 11 अगस्त 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
सार -संक्षेप 2/13
हमारे यहां संतों और संन्यासियों की परंपरा बहुत महत्त्वपूर्ण है
उन्हीं में एक सिद्धयोगी परमानन्द जी महाराज (1911-1969) थे जो राम कृष्ण परमहंस की तरह पढ़े लिखे नहीं थे
ये कभी पहलवान रहे थे लेकिन बाद में विरक्त हो गये
उनसे एक बार दो आर्यसमाजी तर्क वितर्क करने आये और उन्हें उद्दण्डता के साथ भाषाई कमाल दिखाने लगे लेकिन उनको तो कमाल की सिद्धियां प्राप्त थीं अगले दिन उन दोनों आर्यसमाजियों को उनकी बात ही सत्य लगी और परमानन्द जी महाराज के प्रति उन्हें अपार श्रद्धा हो गई
परमानन्द जी के ही शिष्य भगवानानन्द जी ने नाना जी को राजापुर के पास वाला कृषि फार्म दान कर दिया था
उनके एक शिष्य स्वामी अड़गड़ानंद जी यथार्थ गीता के रचयिता हैं इस समय मुंबई में रहते हैं
जैसी सिद्धियां स्वामी परमानन्द जी को प्राप्त थीं वैसी ही हमें मिल जाएं यह आवश्यक तो नहीं
जितना जिसको प्राप्त है उसमें संतोष प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिये
यदि चार लोगों को आत्मीयता का संदेश देकर हम अपना प्रिय बना लेते हैं तो यह संतोष की बात है
आत्मतुष्टि एक बहुत बड़ा धन है
लेकिन आत्मतुष्टि निष्क्रियता नहीं है
इसके आचार्य जी ने सूचना दी कि भैया अरविन्द जी और भैया निर्भय जी के साथ वो कल दिल्ली जाएंगे
वहां युगभारती की भी बैठक है हम लोग किसी उद्देश्य को लेकर एकत्र होने का प्रयास करते हैं युगभारती क्यों है समाज राष्ट्र स्वयं के लिये क्या कर रहे हैं आदि पर चर्चा होगी
आचार्य जी ने ताड़ना (मारना )का अर्थ बताया
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया आशीष जोग भैया अजय शंकर भैया नित्यानन्द 1983 का नाम क्यों लिया जानने के लिये सुनें