14.8.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 14अगस्त 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है अध्यात्मोदवसित आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 14अगस्त 2022

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

सार -संक्षेप 2/16



स्थान :गाजियाबाद


दीनदयाल शोध संस्थान के तीन केन्द्र बिन्दु हैं शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलम्बन

आचार्य जी को नाना जी देशमुख जी ने शिक्षा का कार्य भार सौंपा था कल शोध संस्थान की बैठक में आचार्य जी ने शिक्षा के विषय में अपने विचार व्यक्त किये


छह वेदांगों में एक,वेद -पुरुष की नासिका शिक्षा किसी देश के उत्थान में सबसे बड़ी सहायक और उसके पतन में सबसे बड़ी बाधक होती है

ज्ञान केवल जानकारी न होकर चिन्तन मनन निदिध्यासन आत्मानुभूति का सम्मिश्रण है ज्ञान के अभाव में समस्याओं का निवारण न कर पाने के कारण हम अज्ञानी कहलाते हैं


जब ज्ञान का अपने चिन्तन और व्यवहार से सामञ्जस्य नहीं बैठता है तो ज्ञान काम नहीं देता है इसके लिये आचार्य जी ने कभी अपने विद्यालय  की प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य रहे  श्री हरि शंकर शर्मा जी से संबन्धित एक प्रसंग सुनाया


अध्यात्म अनुभूति है और धर्म अभिव्यक्ति है दोनों का सामञ्जस्य अनिवार्य है

बोलना खाना  जागना आदि सांसारिक व्यवहार  धर्माधारित होने चाहिये


हमें आत्मविश्वास से डिगना नहीं चाहिये यह आत्मविश्वास समाजोन्मुखी होना चाहिये संपूर्ण देश हमारे चिन्तन में होना चाहिये


प्रयास यह भी होना चाहिये कि हमसे लाभान्वित होकर अधिक से अधिक  लोग आत्मविश्वासी बनें


फिर समाज ही समस्याओं को सुलझाने के लिये अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है


आचार्य जी ने चारणी वृत्ति से परहेज करने को कहा हिन्दी साहित्य में एक चारण काल का भी उल्लेख है क्योंकि उस समय के अधिकांश कवि राजाओं का यशोगान करने वाले थे। उनके द्वारा रचा गया साहित्य चारणी कहलाता है।


हमारा नेतृत्व करने वाले भी चारण बन गये इस कारण उन्हें आत्मविश्लेषण और आत्मचिन्तन करने का अवसर ही नहीं मिला


आचार्य जी नित्य हमें जाग्रत करते हैं राष्ट्रोन्मुखी चिन्तन समाजोन्मुखी चिन्तन करते हुए हम अपने व्यक्तित्व का विकास करें और दूसरे हमसे प्रभावित होवें इसका प्रयास करें

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने कल दीनदयाल शोध संस्थान की बैठक से संबन्धित कौन सा प्रसंग सुनाया जानने के लिये सुनें