प्रस्तुत है आचार्यमिश्र आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 15 अगस्त 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
सार -संक्षेप 2/17
आचार्य जी ने कल संपन्न हुई युगभारती इन्द्रप्रस्थ की बैठक की चर्चा की जिसका मुख्य एजेण्डा था
*युग भारती इंद्रप्रस्थ की गतिविधियों को गति प्रदान करने के लिये विमर्श*
लगभग पचास सदस्यों ने आचार्य जी से मार्गदर्शन प्राप्त किया बैठक बहुत सकारात्मक रही कानपुर से भैया अजय शङ्कर जी ने भी अपने विचार व्यक्त किये
युगभारती बहुत कुछ करने में सक्षम है इसलिये जितना अधिक से अधिक वह कर सकती है उसे करना चाहिये केवल कुछ निर्धारित कार्यक्रमों तक ही हम अपने को सीमित न रखें
बाहर भी निकलें तो विस्तार होगा
समाज की सेवा में रत सजातीय सहविचार वाले लोगों के साथ भी युगभारती अपना सामञ्जस्य बैठाए
दीनदयाल शोध संस्थान के भैया अभय जी के आग्रह पर चित्रकूट जाने की भी भविष्य में योजना है
यह अच्छी बात है कि हम लोग बहुत जगह सक्रिय हैं लेकिन जहां सक्रिय नहीं हैं वहां सक्रियता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिये
राष्ट्र के प्रति हम जाग्रत हैं लेकिन राष्ट्र क्या है इसकी भी अनुभूति करें इस पर दीनदयाल जी के विचार हमें पढ़ने चाहिये
सुसंस्कृत मनुष्य के लिये प्रबन्धन बहुत महत्त्वपूर्ण होता है और उसके सहारे वह बड़े से बड़े लक्ष्य पा लेता है
आचार्य जी के विचार प्रायः व्यक्ति से समष्टि को संयुत करते हैं हम अणु आत्मा का विभु आत्मा से संबन्ध है और विभु आत्मा भी एक प्रबन्धन के आधार पर चलती है
इस तरह के सारे व्यवहारों का चिन्तन प्रकटीकरण हमारे ऋषियों ने ज्ञान की अनुभूति होने पर बहुत विस्तार से किया
इसी आत्मज्ञान से वैदिक ऋचाएं उत्पन्न हुईं वेद अपौरुषेय हैं यह सामान्य व्यक्ति की समझ से परे है
आत्मज्ञान की अनुभूति सबको नहीं होती लेकिन जिनको होती है उनमें वैशिष्ट्य आ जाता है
हमें समग्र दृष्टि से सोचने का अभ्यास करना चाहिये शंकराचार्य का अद्वैतदर्शन भी यही कहता है मनुष्य का व्यक्तित्व बहुआयामी है और हमें उसका सम्मान करना चाहिये