प्रस्तुत है अभिष्टवपात्र आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 17 अगस्त 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
सार -संक्षेप 2/19
आचार्य जी हमें आत्मबोध, विश्वबोध, विराट् भक्ति, अध्यात्म आदि से संबन्धित विषय बताते रहते हैं आचार्य जी ने इस बात पर जोर दिया कि उत्तरकांड के गूढ़ लेकिन अत्यन्त उपयोगी विषय हमें जानने चाहिये
जन्माष्टमी निकट है इसे हमें अत्यन्त हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिये
जन्माष्टमी का मूल भाव है प्रसाद वितरण
प्रसाद हमें भावपूर्वक ग्रहण करना चाहिये और
प्रसाद देते समय हम आनन्दित भी रहें यह ध्यान रखें
छठी उत्सव भी अत्यधिक भावपूर्ण है
भगवान राम और भगवान कृष्ण ये दोनों अवतार हमारे देश भारतवर्ष की प्राणिक ऊर्जा हैं शौर्य और पराक्रम का प्रतीक हैं l समाज की समस्याओं का निस्तारण इन्होंने बहुत सूझबूझ से किया l
भगवान राम का मर्यादामय जीवन के लिये अनगिनत कष्ट उठाना और भगवान कृष्ण का आनन्दमय जीवन के लिये दुःख भोगना यह हमारे लिये अज्ञात विषय नहीं हैं
भगवान राम किशोरावस्था तक राजमहल में रहे और जब वो विश्वामित्र के पास गये हैं तब उन्हें कष्टों का अनुभव हुआ है
लेकिन भगवान कृष्ण को जन्म से ही कष्टों का अनुभव हुआ कारागार में जन्म हुआ इसलिये जन्माष्टमी बहुत महत्त्वपूर्ण है
रामनवमी उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में मनाई जाती है लेकिन जन्माष्टमी घर घर मनाई जाती है
अनगिनत कष्टों से भगवान कृष्ण के जीवन की रक्षा हुई है बहुत सारे कष्ट उन्होंने उठाए तो बहुत सारे कष्टों का निवारण भी उन्होंने किया
भैया अजय के पुत्र का उल्लेख करते हुए आचार्य जी ने कहा
हमारे देश की सैन्यशक्ति अभावों में भी प्रभाव प्रदर्शित करती है एक सैनिक के लिये भाव अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है इसी आधार पर वह स्वदेश की रक्षा भी करता है
सैनिकों के साथ साथ हम लोगों को भी सदैव यह ध्यान रखना चाहिये कि हम राष्ट्र के सेवक प्रहरी समर्पित भक्त और रक्षक हैं