18.8.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 18 अगस्त 2022 का सदाचार संप्रेषण

 सन्तुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चयः।


मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः।।12.14।।



प्रस्तुत है राष्ट्र -अवष्टम्भ आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 18 अगस्त 2022

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

सार -संक्षेप 2/20


आचार्य जी ने कल जन्माष्टमी के सम्बन्ध में बताया था उसी विषय को विस्तार देते हुए आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि जन्माष्टमी रामनवमी आदि मनाने के साथ साथ भगवान राम भगवान कृष्ण आदि के सांसारिक जीवन के संबन्ध में भी हम जानकारी प्राप्त करें

हमें इसकी अनुभूति होनी चाहिये कि कैसे उन्होंने संपूर्ण देश को संकटों से उबारकर हमारे सामने स्वच्छ निर्मल वातावरण प्रदान कर दिया


द्वापरकाल में भयंकर युद्ध की समाप्ति के पश्चात् परीक्षित काल आदर्श काल रहा है गीता प्रेस से छपी छोटी छोटी कथाएं हमें पढ़नी चाहिये


हम जो कार्य व्यवहार कर रहे हैं उसका चिन्तन सतत आत्मोन्मुखी रहना चाहिये हम जो कार्य कर रहे हैं वह ठीक है या नहीं इसकी समीक्षा होनी चाहिये


आचार्य जी ने 18 फरवरी 2019 की अपनी लिखी एक कविता  पढ़ी



भारत के शौर्य जगो निष्ठा जागो तप त्याग जगो

संपूर्ण समर्पण वाले दृढ़  अनुराग जगो



ओ जगो वेन कुलनाशी ऋषि के आक्रोश

वनवासी रघुकुल राम भरत के त्याग जगो 

ओ कुरुक्षेत्र वाले गीता उपदेश जगो 

गांडीव गर्जना शौर्य शक्ति संदेश जगो


जागो  रे हरि सिंह नलवा वाले विक्रम 

राणा सांगा के अतुलनीय आवेश जगो

राणा प्रताप की आन बान अभिमान जगो

हिन्दवी राज के सफल युद्ध अभियान जगो

जागो रे वीर व्रती तपसी  गोविन्द सिंह 

जयमल फत्ता गोरा बादल की शान जगो


कश्मीरी केसर क्यारी के उल्लास जगो 

पाणिनी पराक्रम कल्हण के इतिहास जगो 

जागो रे अभिनव गुप्त प्रखर प्रज्ञा प्रतीक

 रणजीत सिंह के बल विक्रम विश्वास जगो


ओ देशप्रेम के पावनतम इतिहास जगो

जल थल अंबर से पराक्रमी उच्छ् वास जगो

ओ जागो भारत के सोए  देशाभिमान

संगठन मन्त्र के जापक दृढ़  विश्वास जगो


इसमें वेन नलवा जयमल फत्ता कल्हण आदि का उल्लेख है हमें इनके बारे में जानना चाहिये

अब समय है कि हम अपने वास्तविक इतिहास से परिचित हों और *अन्य लोगों को भी परिचित कराएं*

हमारा देश अद्भुत है उत्तर तप की प्रतीक भूमि है दक्षिण भक्ति की  पूर्व कला की और पश्चिम  कर्म की


ऐसा अद्भुत भौगोलिक रचना का परमात्मभाव में लीन  उच्च कोटि के विचारों वाला हमारा देश है हमें इस पर गर्व करना चाहिये

इसकी अनुभूति और अभिव्यक्ति इन संप्रेषणों का उद्देश्य है



चिंतन मनन शक्ति संवर्धन और संगठन करना है ,

हर प्रयास से हिंदुराष्ट्र को आत्मशक्ति से भरना है ।


खाली मशीन से आचार्य जी का क्या तात्पर्य है भैया अरविन्द जी का नाम क्यों लिया जानने के लिये सुनें