प्रस्तुत है ऋतधामा श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 2 अगस्त 2022
का सदाचार संप्रेषण
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सार -संक्षेप 2/4
प्रातःकाल हमें संश्लेषणात्मक बुद्धि बनाकर रखनी चाहिये विश्लेषणात्मक बुद्धि से हम भ्रमित होंगे
हम लोग सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाते हैं । इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है
पूजा भाव हमारी भारतीय संस्कृति का संसार में उत्साह के साथ रहने का आधार है
भागवत का एक अंश है
खं वायुमग्निं सलिलं महीं च
ज्योतींषि सत्त्वानि दिशो द्रुमादीन्।
सरित्-समुद्रांश्च हरेः शरीरं
यत्किञ्च भूतं प्रणमेदनन्यः॥
अर्थः
( आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी, नक्षत्र, प्राणी, दिशाएँ, वृक्ष-वनस्पति, नदियाँ, समुद्र आदि जो कुछ भूत सृष्टि है, वह सब हरि रूप है ऐसी भावना करके वह उन्हें अनन्य भाव से नमस्कार करेगा ) (यहां संश्लेषणात्मक बुद्धि रखनी है )
जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जानि।
बंदउँ सब के पद कमल सदा जोरि जुग पानि॥7(ग)॥
देव दनुज नर नाग खग प्रेत पितर गंधर्ब।
बंदउँ किंनर रजनिचर कृपा करहु अब सर्ब॥7 (घ)
यह भारतीय जीवनशैली है
वैष्णव पंथ हो या शैव पंथ
उनकी संहिताओं के चार भाग हैं ज्ञानपाद योगपाद क्रियापाद और चर्यापाद
संहिता का अर्थ है संयोजन, संबंध, संघ, व्यंजन नियमों के अनुसार अक्षरों का संयोजन या ग्रंथों या छंदों का कोई व्यवस्थित रूप से व्यवस्थित संग्रह
कहने का तात्पर्य है जिस विषय को हम अच्छी प्रकार से उदाहरणों के माध्यम से समझ लें वह संहिता है
मनुष्य एक अद्भुत प्राणी है भारतीय संस्कृति में विश्वास रखने वाले मनुष्य ने इस अद्भुतता में सौम्य स्वरूप के दर्शन किये हैं
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
ये पूजा उपासना हमारे लिये संजीविनी का काम करते हैं इसी कारण पर्व निर्धारण होता है
इन पर्वों पर अब अवकाश भी नहीं होते शिक्षा का विकृत स्वरूप हमारे सामने है शिक्षा संस्कृति से अवश्य ही संयुत होनी चाहिये शिक्षा में अपने देश की, स्थानों की विशेषताओं का वर्णन करते अध्याय आदि होने चाहिये
हम अपने मस्तिष्क को क्या केवल computer ही बनाना चाहते हैं?
यदि हम अपने जीवन को आनन्दमय बनना चाहते हैं समस्याओं का समाधान स्वयं खोजना चाहते हैं तो हमें इस ओर चिन्तन करना होगा
अपने परिवार में हम इन सबकी चर्चा करें मानस गीता उपनिषद् की चर्चा करें इन पर्वों को उत्साहपूर्वक मनायें परंपराएं जीवित रखें
यह अफसोस की बात है कि नई पीढ़ी को यह तक नहीं मालूम कि भगवान् राम के कितने भाई थे इस ओर भी चिन्तन करें
पशु की जीवनचर्या से अपनी जीवनचर्या भिन्न रखें