प्रस्तुत है प्रतिसंधानपात्र आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 20 अगस्त 2022
का सदाचार संप्रेषण
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https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
सार -संक्षेप 2/22
सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत्।
सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः।।18.48।।
दोषयुक्त होने के बाद भी सहज कर्म नहीं त्यागना चाहिए क्योंकि सभी कर्म दोष से आवृत होते हैं जिस प्रकार धुएं से अग्नि आवृत रहती है
लेकिन
असक्तबुद्धिः सर्वत्र जितात्मा विगतस्पृहः।
नैष्कर्म्यसिद्धिं परमां संन्यासेनाधिगच्छति।।18.49।।
सर्वत्र आसक्ति रहित बुद्धि वाला वह पुरुष जो स्पृहा से रहित और जितात्मा है, संन्यास से परम नैष्कर्म्य सिद्धि को प्राप्त होता है
कलयुग के अद्भुत प्रसंग विचार प्रवण लोगों के आसपास घूमते रहते हैं उसमें व्याकुलता सबके साथ दिखाई देती है कोई परिवार के कारण कोई शरीर के रोगों के कारण, कोई समाज सेवा आदि के कारण व्याकुल रहता है अधिक आयु में भी वैराग्य प्राप्त होना परमात्मा की कृपा है अन्यथा व्यक्ति सांसारिक प्रपञ्चों में उलझा रहता है
एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए आचार्य जी ने कहा स्वार्थरत बहुसंख्यक समाज की लापरवाही के चलते छोटे छोटे स्थानों पर विशेष रूप से गांवों में नासूर तैयार हो रहे हैं जो अत्यधिक खतरनाक हैं
इस ओर हम लोग ध्यान दें प्रशासक वर्ग से संपर्क करने की आवश्यकता है
इस उथल पुथल के समय में हम अपने कर्तव्य को समझें
उन्नाव में होने वाले एक कार्यक्रम जिसमें उप्र उच्च शिक्षा राज्यमन्त्री सुश्री रजनी तिवारी भी आ रही हैं का उल्लेख करते हुए आचार्य जी ने एक पुस्तक की चर्चा की
मोदी@20: ड्रीम्स मीट डिलीवरी"
इस पुस्तक में एस जयशंकर का आलेख जिसके कुछ अंश हैं
प्रधानमन्त्री मोदी एक ऐसे व्यक्तित्व को परिभाषित करते हैं जिसे दुनिया पहचानने लगी है।
वह आतंकवाद ( मुख्यतः सीमा पार से प्रेरित) को न तो नजरअंदाज करेंगे और न ही बर्दाश्त करेंगे।
विश्व के नेताओं के साथ व्यक्तिगत संबंधों के चलते सीधे तौर पर हमारे देश और लोगों के हित आगे बढ़े हैं
आचार्य जी को सबसे उपयुक्त लगा
यह पुस्तक प्रधानमन्त्री मोदी के पिछले 20 वर्षों के राजनीतिक जीवन से संबन्धित है और इसे उद्योग एवं राजनीति के विख्यात बुद्धिजीवियों और व्यक्तित्वों द्वारा संकलित किया गया है। पुस्तक में सुधा मूर्ति, सद्गुरु, अमित शाह, लता मंगेशकर, अजीत डोभाल, उदय कोटक, अनुपम खेर, पीवी सिंधु आदि के भी विचार हैं