22.8.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 22 अगस्त 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है सत्त्वविहित आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 22 अगस्त 2022

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

सार -संक्षेप 2/24


आज के सदाचार संप्रेषण का मूल पाठ यह है कि हम संसार में रहते हुए सांसारिक प्रपञ्चों से संघर्ष करते हुए भी प्रतिदिन प्राणायाम चिन्तन मनन ध्यान धारणा लेखन आदि के साथ संसार से मुक्त रहने का प्रयास करेंगे तो यह हमारे लिये लाभकारी होगा सांगठनिक बैठकों में भी इसे चर्चा का विषय बनायें


संसार में उलझाव हैं तो सुलझाव भी है उलझाव सुलझाव साथ साथ चलते हैं यही संसार है परमात्मा भी अवतरित होकर संसारी भाव में प्रवेश करते हुए सुख दुःख उत्थान पतन के साथ अपने को समायोजित करते हुए भक्तजीवों का उद्धार करते हुए बिना परेशान हुए संसार -सागर को पार कर लेता है


भारतीय संस्कृति का यह वैशिष्ट्य हमें तभी परिलक्षित होता है जब स्वयं हम अपने को संसार की समस्याओं में ग्रस्त नहीं पाते हैं



जो करता है परमात्मा करता है और परमात्मा सब अच्छा ही करता है इसकी अनुभूति जिन क्षणों में हो जाए वही क्षण धन्य हो जाते हैं आत्मानन्द आत्मविश्वास के इन क्षणों की वृद्धि ही सक्षम सनाथ ऋषित्व की परिभाषा है


जीवन का प्राप्तव्य मोक्ष है मोक्ष और ऋषित्व एक ही हैं ऋषि असम्पृक्त रहते हुए सारे कार्य करता है और हम संलिप्त होकर कार्य करते हैं


हमारा आत्मतत्व उस कार्य की सफलता असफलता से संयुत होता रहता है और आत्मविस्मृति ही संसार की समस्याएं हैं

यह विषय ही अध्यात्म है


हम भी ऋषित्व के प्रयास में रहते हैं संलिप्तता संसारत्व है


आध्यात्मिक शक्ति से ही भारत बार बार गिरने के बाद उठ जाता है



आचार्य जी ने एक बहुत रोचक प्रसंग सुनाया कि कैसे श्री जगपाल जी के श्वसुर श्री जयवीर जी की केतली के टूट जाने पर आचार्य जी के बोले गये शब्दों पर श्री जयवीर जी ने उन्हें ऋषि कहा

आचार्य जी ने कायरता का अर्थ भी बताया