24.8.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 24 अगस्त 2022 का सदाचार संप्रेषण

 जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी॥

राम भगत जग चारि प्रकारा। सुकृती चारिउ अनघ उदारा॥



प्रस्तुत है दुण्डुक -अराति आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 24 अगस्त 2022

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

सार -संक्षेप 2/26


आनन्द की अनुभूति देने वाली इन सदाचार वेलाओं से   आचार्य जी द्वारा हमारे मार्गदर्शन का कार्य निरन्तर चल रहा है



हमारी भारतीय मनीषा इस बात पर विश्वास रखती है कि समाज में सौमनस्य का भाव बना रहे और यदि सौमनस्य का भाव बना रहता है तो ऐसा समाज विकास के पथ पर अग्रसर रहता है


लेकिन इसका विपरीत दर्शन चिन्तन मनन करने वाले व्यक्तियों में व्याकुलता बढ़ा देता है


आचार्य जी ने अपनी पुस्तक युगपुरुष की चर्चा करते हुए बताया कि जिस समाज का जन जन लोभी लालची हो जाता है उस समाज को स्वतन्त्र करने के बाद भी संवारा नहीं जा सकता


हम सभी चिन्तन मनन करने वाले लोग इस बात से उद्विग्न हो जाते हैं जब हम देखते हैं कि कुछ दिग्भ्रमित लोग समाज में सौमनस्य का भाव समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं

इन सब बातों से हम उद्विग्न न रहें इसके लिये आचार्य जी ने बाल कांड में 15 वें से 21 वें दोहे का पाठ उच्च स्वर में करने का परामर्श दिया


सपनेहुँ साचेहुँ मोहि पर जौं हर गौरि पसाउ।

तौ फुर होउ जो कहेउँ सब भाषा भनिति प्रभाउ॥15॥



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राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार।

तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर॥ 21॥



राम के नाम से शान्ति के अतिरिक्त शौर्य और शक्ति का विश्वास उत्पन्न होता है


मात्र दशरथ -सुत न होकर पौरुष पराक्रम वाले विग्रहों का प्रतिफल भारतीय संस्कृति का साक्षात् विग्रह हैं राम


रामो विग्रहवान धर्मः



(श्रीराम जन्मस्थान पर  मंदिर निर्माण हेतु गठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने ट्रस्ट का जो लोगो जारी किया है उस पर भी यही लिखा है)



हम मनुष्यों का धर्म अर्थात् कर्तव्य क्या है यह विचारणीय है


राष्ट्र के लिये भगवान् राम ने अनेक संकटों को पार कर रास्ता निकाला


हम लोग नागों से सावधान होकर सेवा करें नाग शिव की शक्ति के सामने पालतू बनता है अन्यथा डसता है


हमें केवल ये संप्रेषण सुनें नहीं अपना कर्तव्य पहचानें

आचार्य जी की हमसे अपेक्षा है कि हम जाग्रत हों


हमारे अन्दर रामत्व प्रवेश करे