प्रस्तुत है अलेपक आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 25 अगस्त 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
सार -संक्षेप 2/27
यह हमारा सौभाग्य है कि अनेक प्रपंचों में उलझे रहने के बाद भी आचार्य जी नित्य हमें प्रेरित करते हैं
विचार और निश्चय करने वाली शक्ति अर्थात् बुद्धि *दर्शन* में प्रकृति का महातत्त्व है पुरुष ने पहले प्रकृति में अपने को अवस्थित किया
बुद्धि में अहम उद्भूत हुआ अहम के दो रूप हैं एक का अर्थ मैं हूं और दूसरा मैं संसार हूं अर्थात् अहंकार
अहम से जब संसार संयुत होता है तो सूक्ष्म तत्त्व मनस की उत्पत्ति होती है जो व्यक्ति को समझने की शक्ति देता है
क्योंकि उसे संसार को समझना है
मन बुद्धि चित्त अहंकार का फिर चतुष्टय बना
यह है हमारे यहां का चिन्तन
आचार्य जी द्वारा लिखे गये निम्नांकित छंदों को कंठस्थ करें और गाएं
इससे हमारे अन्दर भाव जागेंगे हमारा आत्मविश्वास जागेगा
2019 में लिखा एक छंद
जाग सोता रहा त्याग राग गाता रहा
जंगलों में बैठ बैठ ज्ञान गीत गाया है......
एक और
आत्मज्ञान आत्मशक्ति के बिना अधूरा सदा
आन बान शान शौर्य शक्ति की निशानी है
भौतिक शरीर ही न बलवान हो सका सदा
दुनिया जहान सब व्यर्थ की कहानी है
ज्ञानी चक्रवर्तियों की पुण्य भूमि भारती मां
कहती रही है शक्तिहीन नहीं ज्ञानी है
फिर भी न जाने बिना शक्ति का विराग राग
जाने कब शौर्य को बना गया मसानी है
इसके अतिरिक्त एक और छंद है
भा में रत भारत महान ज्ञान रत्न रहा
शौर्य शक्ति संयम की यह परिभाषा था
विश्व में जहां कहीं भी गया जिस रूप में भी
वहीं वह हुआ सभी मानवों की आशा था
किन्तु जब आत्मज्ञान केवल मनन हुआ
हुआ उसी दिन से ये भारत तमाशा था
इसलिये भारत हे फिर से वरण करो
शील युक्त शौर्य शक्ति विक्रम की भाषा था
इसके अतिरिक्त आचार्य जी आगामी 28 से 30 तक उन्नाव विद्यालय में होने वाले कार्यक्रमों के लिये आप सभी को आमन्त्रित कर रहे हैं