प्रस्तुत है गतवैर आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 27 अगस्त 2022
का सदाचार संप्रेषण
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https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
सार -संक्षेप 2/29
जीवन चलने का नाम
चलते रहो सुबहो शाम
कि रस्ता कट जाएगा मितरा
कि बादल छट जाएगा मितरा
कि दुःख से झुकना ना मितरा
कि एक पल रुकना ना मितरा
जीवन गति का ही नाम है और यदि गति न रहे तो जीवन जीवन नहीं रहता वह स्थावर हो जाता है
मनुष्यत्व के यात्री,आत्मावलोकन करने वाले जिज्ञासु गतिशीलता कर्मशीलता को निरन्तर कायम रखते हैं बाधाओं के आने पर भी इस गतिशीलता का वे त्याग नहीं करते
गतिशीलता के अभाव में विश्व का अस्तित्व ही नहीं रह जाता
गतिशीलता प्राप्त करने के कई उपाय होते हैं उनमें से एक है किसी भी कार्यक्रम का आयोजन
कार्यक्रमों से हमें आनन्द की अनुभूति भी होती है
यह हमारा सौभाग्य है कि 28 से 30 अगस्त तक उन्नाव विद्यालय में लगातार तीन दिन तक कार्यक्रम होने जा रहे हैं जिनमें आप सभी आमन्त्रित भी हैं
एक हमारा सांसारिक पक्ष है और दूसरा भाव पक्ष आत्मस्थ होने पर हम देख सकते हैं कि तत्त्वतः हम सभी एक हैं भारतीय दर्शन का मूल विचार है कि हम सभी तत्त्व हैं सभी ब्रह्म हैं यह हमारे प्रारब्ध की बात है कि कभी हमारे अन्दर रामत्व प्रवेश करता है कभी कभी श्यामत्व कभी कोई अन्य महापुरुषत्व