प्रस्तुत है म्रक्ष -नाशक आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 29 अगस्त 2022
का सदाचार संप्रेषण
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https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
सार -संक्षेप 2/31
प्रेम,भावना,कर्तव्य आदि जब
अपने चरम पर होते हैं तो मानस में आनन्द का ऐसा सागर हिलोरे लेने लगता है कि बड़ा काम भी आसानी से हो जाता है आज भी निर्लिप्त भाव से बिना लोभ के बड़े से बड़े काम को करने वाले लोग मिल जाते हैं
हमें आत्मस्थ होकर आत्मानन्द की अनुभूति का अवश्य ही प्रयास करना चाहिये भले ही हम कितने ही व्यस्त हों
आचार्य जी ध्यान धारणा प्राणायाम आदि पर जोर देते हैं ताकि हमारी आन्तरिक शक्ति की वृद्धि हो
कल होने वाले कवि सम्मेलन की ओर संकेत करते हुए आचार्य जी कहते हैं कवि तो हर व्यक्ति है लेकिन सबमें अभिव्यक्ति नहीं है कवि सम्मेलन में कवि अपनी अपनी अपनी भावनाओं को एक विधि से व्यक्त कर सामान्य जनमानस को आनन्दित करने का प्रयास करते हैं
कल का कार्यक्रम भी बहुत सफलता पूर्वक संपन्न हुआ जिसमें युगभारती से दस सदस्य सम्मिलित हुए नाम हैं भैया अरविन्द भैया प्रदीप वाजपेयी भैया पुरुषोत्तम
भैया वीरेन्द्र त्रिपाठी भैया मोहन भैया मनीष कृष्णा भैया अजय तिवारी भैया अभय गुप्त प्रवीण अग्रवाल और भैया सुरेश गुप्त जी ( मुख्य अतिथि )
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता।।
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोइ।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोइ।।
जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा।
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा।।
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगत मोह मुनिबृंदा।
निसि बासर ध्यावहिं गुनगन गावहिं जयति सच्चिदानंदा।।...
का पाठ करें
और अत्यन्त महत्त्वपूर्ण
जनि डरपहु मुनि सिद्ध सुरेसा। तुम्हहि लागि धरिहउँ नर बेसा॥
अंसन्ह सहित मनुज अवतारा। लेहउँ दिनकर बंस उदारा॥
... का भी पाठ करें
आचार्य जी ने 186 से 198 दोहे तक का पाठ करने का परामर्श दिया
इससे विषम परिस्थितियों में हमें बल मिलेगा गीता का पाठ भी कर सकते हैं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बैरिस्टर साहब द्वारा कहे गये शब्दों SENSITIVE, THICK -SKINNED शब्दों की चर्चा क्यों की उन्नाव के कलक्टरगंज, नारदानन्द सरस्वती का नाम क्यों आया आदि जानने के लिये सुनें