स पर्यगाच्छुक्रमकायमव्रणमस्नाविरं शुद्धमपापविद्धम्।
कविर्मनीषी परिभूः स्वयम्भूर्याथातथ्यतोऽर्थान् व्यदधात् शाश्वतीभ्यः समाभ्यः ॥
प्रस्तुत है काव्यरसिक आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 30 अगस्त 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
सार -संक्षेप 2/32
शरीर को नियन्त्रित करके मन को संयमित करके सद्विचारों को उत्थित करके हम ऐसी शक्ति प्राप्त कर सकते हैं जिससे हम उल्लसित रह सकते हैं
हमारा खानपान व्यवहार इसमें मददगार होता है
ऐसी बहुत सी अच्छी बातें हम लोग अपने ग्रंथों से सीख सकते हैं आचार्य जी हमारे अन्दर जिज्ञासा उत्पन्न करते हैं जिससे हम जान सकें कि उपनिषदों में क्या है आरण्यक किसलिये हैं वेदों में क्या है
कथन चिन्तन कर्म विचार आदि आत्माभिव्यक्तियां परमात्मा का वरदान होती हैं इनको समझना और गहन से गहन विचारणा के साथ इनकी अनुभूति हम लोगों को करवाना आचार्य जी का हमेशा से लक्ष्य रहा है
शिल्पी | उदास क्यों हो
गढ़ो अपनी माटी की मूरतें
उरेहो, अपने मन में समायी सूरतें ।
ये वर्षा-बवण्डर, पत्थर-पानी तो आते ही रहेंगे ।
पसीना बहाकर कमाई मिट्टी के ढेर
नदी नालों के पेट में समाते ही रहेंगे ।
खिलंदड़ बच्चे ही क्या
ईर्ष्या की आग में दहकते बूढ़े भी कई बार मौका पाकर
गीले लौंदे लतियाने से चूकते नहीं
गढ़ नहीं सकते न ।
इसीलिये उन्हें दूसरों की
बनी बिगाड़ने में मजा आता है
और तुम जैसों का मन
नाहक सजा पाता है |
तुम्हारी उदासी उनको हँसाती है
और दुनिया के
सभी शिल्पियों को
दुविधा में फँसाती है |
उनका यही काम है
.......
भारत देश कवित्वमय देश है हमारी भाषा कवित्वमय है हमारी संस्कृति ही कवित्वमय है कवित्व आत्मानुभूति की आत्माभिव्यक्ति है
कवि गोष्ठी मनुष्य के आनन्द -पक्ष का एक महापर्व है
हम में ऐसे बहुत से भावुक और भावक लोग हैं जो इस तरह की गोष्ठियों की प्रतीक्षा करते हैं यह हमारा सौभाग्य है कि एक उच्च कोटि का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कवि सम्मेलन आज उन्नाव विद्यालय में सायं चार बजे से होने जा रहा है जिसमें आप सभी सादर आमन्त्रित हैं
आपकी उपस्थिति कवियों का मनोबल बढ़ायेगी
कवि विशिष्ट होता है उसकी दृष्टि अद्भुत होती है उसे सरस्वती का विशेष वरदान मिला होता है चर्चित हो चर्चित न हो इससे अन्तर नहीं पड़ता
कोई कवित्व की अनुभूति कर लेता है और कोई कवित्व की अनुभूति के साथ उसकी अभिव्यक्ति भी कर लेता है
दोनों का परस्पर आनन्द संप्रेषण ही ये कवि गोष्ठियां हैं
इसके अतिरिक्त मुकेश जी का नाम क्यों आया मैं पच्चीस रुपये लेने वाला व्यक्ति हूं किसने कहा
मंच पर छत्तीस क्या था
आदि जानने के लिये सुनें