31.8.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 31 अगस्त 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है शारुकारि आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 31 अगस्त 2022

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

सार -संक्षेप 2/33


मन उल्लसित है तो थका शरीर भी साथ दे जाता है लेकिन यदि मन खिन्न अशान्त हताश हो तो शरीर बोझ लगता है इसलिये हमें अपनी मानसिक शक्ति को पहचानने जानने के साथ संवारने की भी आवश्यकता है

भारत के शौर्य जगो निष्ठा जागो तप त्याग जगो

संपूर्ण समर्पण वाले दृढ़  अनुराग जगो



ओ जगो वेन कुलनाशी ऋषि के आक्रोश

वनवासी रघुकुल राम भरत के त्याग जगो 

ओ कुरुक्षेत्र वाले गीता उपदेश जगो 

गांडीव गर्जना शौर्य शक्ति संदेश जगो....


हमें अपने आत्म की अनुभूति करने की आवश्यकता है

इस समय देश की स्थिति गम्भीर है सांस्कृतिक रूप से हम पराजित होते चले जा रहे हैं अच्छे विचारों वाले व्यक्तियों की जीवनशैली भी प्रायः अच्छी नहीं है संपूर्ण विश्व एक होने के बाद भी भिन्न भिन्न प्रकृतियों की सीमाओं  में बंधा है अपने व्यक्तिगत अस्तित्व व्यक्तित्व की अनुभूति की समाप्ति के कारण हमारा सांस्कृतिक पक्ष डांवाडोल हो गया है


काव्य मंचों पर समस्याओं का प्रस्तुतीकरण होता है लेकिन मात्र प्रस्तुतीकरण से काम चलने वाला नहीं है हमें समाधान भी देखना होगा कविता मात्र मनोरंजनार्थ नहीं है 

देश के प्रति समर्पण भी आवश्यक है  आज के बच्चे कोयल और मोर चित्रों में देखते हैं और विडम्बना यह कि उनके नाम अंग्रेजी में बोलते हैं यह दुःख की बात है

कवि मंच इसी तरह के दुःख के निवारण के लिये है कवि मंच आत्मबोधोत्सव है

हम इन्द्रियों के साथ तो हमेशा रहते हैं लेकिन आत्म के साथ रहना ही काव्यानन्द है


इसी आनन्द की अनुभूति के लिये कुछ भाग्यशाली श्रोताओं को एक अवसर कल मिला यह था उन्नाव विद्यालय में कल संपन्न हुआ कवि सम्मेलन


जिसमें दिव्य संचालन के साथ स्तरीय कविताओं का पाठ हुआ अंसार जी सुरेश जी उत्कर्ष जी अतुल जी पवन जी आचार्य जी प्रख्यात जी आदि कवियों ने अत्यन्त उच्च कोटि की कविताओं से श्रोताओं को झंकृत कर दिया

इसके अतिरिक्त भैया मोहन कृष्ण जी का नाम क्यों आया कौन गहरे समुद्र थे किसने लिफाफा लौटाया आदि जानने के लिये सुनें