7.8.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 7 अगस्त 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है तमोहर आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 7 अगस्त 2022

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

सार -संक्षेप 2/9


विदित हो कि  2015 में बाबा रामदेव ने अपने  वैदिक शिक्षा अनुसंधान संस्थान के माध्यम से एक नया स्कूली शिक्षा बोर्ड शुरू करने का विचार प्रस्तुत किया था और अब जाकर केंद्र सरकार ने स्वतन्त्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर भारतीय शिक्षा बोर्ड  का गठन कर दिया है और उसके संचालन का जिम्मा बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट  को सौंपा है


1835 में मैकाले द्वारा फैलाई गई गंदगी को हटाने के लिये बाबा रामदेव का प्रयास रंग लाया


बताते चलें कि आध्यात्मिक दृष्टि से उच्च शिखर पर बैठे बाबा रामदेव को स्व राजीव दीक्षित ने व्यावहारिक शिक्षा प्रदान की थी


यह एक अच्छा प्रयास है और   हम भारतीय दर्शन में आस्था रखने वाले राष्ट्रभक्तों को आशा की किरण दिखाई दे रही है कि हो सकता है कि इससे भारत के साथ साथ संपूर्ण विश्व का भाग्योदय होने लगे


भारत की शिक्षा पद्धति गुरुकुल संस्कार शैली पर आधारित है

गुरु गृह पढ़न गए रघुराई।

अलप काल विद्या सब पाई॥ 



 गुरु अर्थात् जो अन्धकार का हरण कर ले


विद्यालय एक ऐसा संसार है जहां मार्गदर्शन की शैली व्यक्तिशः स्नेह और आत्मीयता से प्रस्फुरित होती है


शिक्षा का अर्थ है विद्यार्थीगण  अध्यापक की अभिलाषाओं के साथ तन्मय होकर जीवन का पाठ ग्रहण करें


श्रेष्ठतम अध्ययन केन्द्र वही हैं जहां लोग उच्चतम जीवन आदर्श को व्यावहारिक जीवन में उतारने के लिये कृतसंकल्प हों


जीवमात्र के लिये निःस्वार्थ प्रेम, हृदय की शुद्धता, माता पिता के प्रति आदर,सच्चाई के प्रति निष्ठा, अपरिग्रह, अहिंसा,स्वतन्त्र चिन्तन, स्पष्ट अभिव्यक्ति,सबके प्रति आदर, नैसर्गिक सृष्टि के साथ सामञ्जस्य और स्वावलम्बन, संवेदनशीलता, स्वाभिमानी जीवन आदि गुण उचित शिक्षा से संभव हैं



समझना समझाना एक रहस्यात्मक आत्मिक तत्त्व है जिसका आधार प्रेम परिचय आत्मीयता सम्बन्ध है


बिना आत्मीयता प्रेम आदि के विद्वान की भाषा के शब्दों में सीखने की चाह रखने वाला व्यक्ति उलझ सकता है


हमारा साफ सुथरा रहना शिक्षा का मूल आधार है और स्वच्छता से ही हमारे अन्दर से सद्विचार उद्भूत होंगे


सादगीपूर्ण जीवन विश्वव्यापी सुख शान्ति का आधार है

ऐश्वर्य और भुखमरी साथ साथ चलते हैं  और ऐश्वर्य के प्रति आकर्षण शमित तब होता है जब प्रकृति के साथ जीवन की समरसता के प्रति आकर्षण होता है ऐश्वर्य प्रकृति से दूर रहता है और सादगी प्रकृति के निकट जाती है यह शिक्षा का मूल आधार है और फिर प्राणीमात्र के लिये हमारे अन्दर भाव उद्भूत होता है


सर्वे भवन्तु सुखिनः ।

सर्वे सन्तु निरामयाः ।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु ।

मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ॥

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥



किसी शिक्षित ने ही तो यह कहा

शिक्षक को यह जानकारी होनी ही चाहिये कि शरीर क्या है मन क्या है बुद्धि और आत्मा क्या है इन सबका सामञ्जस्य क्या है



इनके सामंजस्य से समाज कैसे प्रभावित होता है 


व्यावहारिक विषय को तात्त्विक स्वरूप कैसे प्रदान किया जाए शिक्षक को इसका आभास होना चाहिये

शिक्षकत्व विस्तृत होना आवश्यक है अन्यथा शिक्षा कठिन है

शिक्षा और प्रशिक्षण में अन्तर है दिमाग को पुस्तकालय बनाना शिक्षा नहीं है