सुर नर मुनि सब कै यह रीती। स्वारथ लागि करहिं सब प्रीती।।
प्रस्तुत है तीक्ष्णकर्मन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 11सितम्बर 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
सार -संक्षेप 2/44
सदाचारमय विचार, सदाचारमय आचार और सदाचारमय व्यवहार करते हुए अपने पुरुषार्थ को हमें जाग्रत करते रहना चाहिये हमें अपने उपास्य भारत मां के अखंड विग्रह के लिये प्रयत्नशील रहना चाहिये
आज से पितृपक्ष प्रारम्भ हो रहा है,गया जाने के बाद भी श्रद्धा के प्रतीक श्राद्ध करने चाहिये
बृहदारण्यक उपनिषद् में दूसरे अध्याय में
......न वा अरे सर्वस्य कामाय सर्वं प्रियं भवत्यात्मनस्तु कामाय सर्वं प्रियं भवति। आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः श्रोतव्यो मन्तव्यो निदिध्यासितव्यो मैत्रेय्यात्मनो वा अरे दर्शनेन श्रवणेन मत्या विज्ञानेनेदं सर्वं विदितम्॥
आत्मा किसी भी रूप में दर्शन देने लगती है किसी को गौ किसी को नदी किसी को देश किसी को जीवमात्र के रूप में दर्शन देती है
जीवन में सभी सुख आत्मा द्वारा अनुभूत किये जाते हैं
इसलिये आप अपना ध्यान आत्मा की ओर केन्द्रित करें
उसे देखें सुनें समझें क्योंकि वह आपके मन की गांठ खोल देता है
आचार्य जी के आत्म को अच्छा लगता है कि वो हमारा मार्गदर्शन करें और इसी कारण हम लोगों को सौभाग्यवश ये सदाचार संप्रेषण प्राप्त हो रहे हैं
सकारात्मक बात ये है कि इनसे आचार्य जी के आत्म स्वरूप हम मानस पुत्रों को ऊर्जा मिलती है हमें समस्याओं के हल मिलते हैं
आत्म से मानस तक की ये यात्रा, मानस से संसार तक की यात्रा परमात्मा का लीला स्वरूप है हम सब पात्र हैं
हम अपना जितना अच्छा अभिनय करेंगे उसी हिसाब से हमें पुरस्कार मिलेगा