12.9.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 12 सितम्बर 2022 का सदाचार संप्रेषण

 शास्त्रप्रतिष्ठा गुरुवाक्यनिष्ठा

          सदात्मदृष्टिः परितोषपुष्टिः ।

     चतस्र एता निवसन्ति यत्र

          स वर्तमानोऽपि न लिप्यतेऽघैः ॥ १॥


प्रस्तुत है चञ्चुर आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 12 सितम्बर 2022

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

सार -संक्षेप 2/45


यह सदाचार संप्रेषण आचार्य जी  प्रयास केन्द्र के उसी स्थान से कर रहे हैं जिस स्थान से कई वर्ष पूर्व पहला संप्रेषण किया था यहां 

पक्षियों के स्वर सुनाई पड़ रहे हैं प्रातःकाल का अत्यन्त सुरम्य वातावरण है हरीतिमा छाई है

आगामी वार्षिक अधिवेशन को अत्यन्त सफल बनाने के लिये आचार्य जी अपने सुझाव दे रहे हैं


युगभारती स्वदेशानुराग से परिपूर्ण सक्रिय रहे इसके लिये आचार्य जी के विचार अत्यन्त प्रासंगिक हैं

जो थोड़ा है उसे बहुत समझना चाहिये संतोष बहुत बड़ा धन है

लेकिन प्रयास अवश्य करना चाहिये हम लोग क्लब संस्कृति से अलग हैं हमारी एक दिशा है  हम देखें कि राष्ट्र की सेवा में राष्ट्र के शक्ति संवर्धन में हम कितना प्रयास कर रहे हैं इसका चिन्तन भी होना चाहिये

हमें भूलना नहीं चाहिये कि हमारा ध्येय वाक्य है


" प्रचण्ड तेजोमय शारीरिक बल, प्रबल आत्मविश्वास युक्त बौद्धिक क्षमता एवं निस्सीम भाव सम्पन्ना मनः शक्ति का अर्जन कर अपने जीवन को निःस्पृह भाव से भारत माता के चरणों में अर्पित करना ही हमारा परम साध्य है l "


चौबीस घंटों में हमारे पास कुछ ऐसा समय भी रहता है जो खाली रहता है यदि हम इसे समाज की व्यवस्था में लगा दें लोगों से मिलें टेलीफोनिक संपर्क करें तो यह बहुत अच्छी बात रहेगी 

यही समाजोन्मुखता है

हमारे देश में समय समय पर महापुरुषों का उदय होता रहता है  इन्हीं महापुरुषों के जीवन के प्रकाश में हम अपना मार्ग देखते हैं हम उनके अनुयायी हैं

तर्कोऽप्रतिष्ठो श्रुतयो विभिन्ना

          नैको मुनिर्यस्य वचः प्रमाणम् ।

     धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायां

          *महाजनो येन गतः स पन्थाः* ॥ ४॥


मार्ग पर हमें चलना है खड़े नहीं होना है कुंठाओं को व्यक्त न कर यह विचार करें कि हम क्या क्या योगदान दे सकते हैं

इसी से व्यक्तिशःसमाजोन्मुखता प्रारम्भ हो जाती है जब संपर्क करते चलते हैं और पता चलता है कि आप भी वही कर रहे हैं जो दूसरा कर रहा है तो यह हमें आनन्द देता है


आजीवन सदस्यता के लिये फोन से संपर्क अवश्य करें कम से कम एक हजार सदस्यों का लक्ष्य बनाएं


लोगों के सद्गुणों को ग्रहण करें दुर्गुणों की ओर ध्यान न दें


इससे संगठन विस्तार लेगा हम भी आनन्दित होंगे समाज भी आनन्दित होगा


समाज के ऐसे चिन्तनशील विचारशील कर्मशील लोगों से भी हम संपर्क करें जो आयु में तो अधिक हैं लेकिन उनके विचार अत्यन्त उपयोगी हैं