प्रस्तुत है अमृतवाक् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 17 सितम्बर 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
सार -संक्षेप 2/50
अमृतवाक् =अमृत जैसे मधुर वचन बोलने वाला
यह सदाचार संप्रेषण लगातार चल रहा है यह परमात्मा की एक व्यवस्था है और यह नैत्य हम लोगों का सौभाग्य है
हम लोगों को एक दूसरे से जुड़ने का अवसर तो यह प्रदान करता ही है भारतीय जीवन दर्शन में रचने बसने का रास्ता दिखाता है भारत मां की सेवा करने का मौका भी देता है
हमें आचार्य जी पर पूर्ण विश्वास रहता है हम लोगों का विकास ही आचार्य जी का उद्देश्य है हम लोगों को इसमें लेशमात्र भी भ्रम नहीं होना चाहिये कि अध्यात्म सारी समास्याओं को सुलझा देता है
आचार्य जी से हमारे मन मस्तिष्क भाव विचार क्रियाएं संयुत रही हैं और आगे भी रहेंगी
हमारे विकारों को आचार्य जी अपने विचारों से शमित करते हैं
करसि पान सोवसि दिनु राती। सुधि नहिं तव सिर पर आराती॥
राज नीति बिनु धन बिनु धर्मा। हरिहि समर्पे बिनु सतकर्मा॥4॥
बिद्या बिनु बिबेक उपजाएँ। श्रम फल पढ़े किएँ अरु पाएँ॥
संग तें जती कुमंत्र ते राजा। मान ते ग्यान पान तें लाजा॥5॥
यह सब नाक कटने के बाद रावण के पास जाकर शूर्पणखा कह रही है लेकिन ये चौपाइयां सबके लिये बहुत अद्भुत हैं
दुष्ट अकबर का आतंक उस समय व्याप्त था भारतीयता में रचे बसे तुलसी का अद्भुत कथा संयोजन है
रामचरित मानस की रचना शिव जी की कृपा से तुलसीदास ने की है
मूलं धर्मतरोर्विवेकजलधेः पूर्णेन्दुमानन्ददं वैराग्याम्बुजभास्करं ह्यघघनध्वान्तापहं तापहम्। मोहाम्भोधरपूगपाटनविधौ स्वःसम्भवं शंकरं वंदे ब्रह्मकुलं कलंकशमनं श्री रामभूपप्रियम्॥1॥
शिव पार्वती को रामकथा सुना रहे हैं
जीवन में समस्याएं आयें तो उनके समाधान हमें मानस में मिलेंगे भरत का त्याग रामराज्य लाने के लिये भगवान् राम ने कितने कष्ट सहे इन सबका तुलसी ने अद्भुत वर्णन किया है
श्रीराम की कथा उन्होंने हम लोगों के परिवारों से संयुत कर दी सबके घरों में राम लक्ष्मण भरत हैं लेकिन कलियुग के प्रभाव से उनके आचरण विपरीत हो जाते हैं लेकिन इन सबको रामात्मक दृष्टि प्रदान करने का तुलसी ने अद्भुत कौशल दिखाया
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया पंकज श्रीवास्तव जी का नाम क्यों लिया जानने के लिये सुनें