.प्रस्तुत है संवित्ति -सागर आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 19 सितम्बर 2022
का सदाचार संप्रेषण
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सार -संक्षेप 2/52
संवित्ति =ज्ञान
आइये सदाचार वेला में प्रवेश करते हैं शरीर संसार भूलकर आनन्द प्राप्त करने के लिये
तापस बेष बिसेषि उदासी। चौदह बरिस रामु बनबासी॥
सुनि मृदु बचन भूप हियँ सोकू। ससि कर छुअत बिकल जिमि कोकू॥2॥
यदि राम राज्य करने लगेंगे तो रावण को कौन मारेगा
इसलिये अद्भुत लीला रची गई राम के वन जाने के लिये दोषी कोई नहीं मां कैकयी सर्वथा निर्दोष हैं
भगवान् ने निषाद के सामने भी चौदह वर्ष वन में काटने की बात कही
अरण्य कांड में प्रवेश करते हैं
अरण्य कांड में बहुत उतार चढ़ाव हैं इस में भक्ति, संघर्ष, राम -गीता, नारद संवाद है
इसी कांड में भगवान् राम दिखाते हैं कि वो अकेले ही बहुत कुछ कर सकते हैं
अनुसुइया के पद गहि सीता। मिली बहोरि सुसील बिनीता।।
रिषिपतिनी मन सुख अधिकाई। आसिष देइ निकट बैठाई।।
दिब्य बसन भूषन पहिराए। जे नित नूतन अमल सुहाए।।
कह रिषिबधू सरस मृदु बानी। नारिधर्म कछु ब्याज बखानी।।
मातु पिता भ्राता हितकारी। मितप्रद सब सुनु राजकुमारी।।
अनुसूया सीता माता को उपदेश देती हैं तपस्या से प्राप्त दिव्य वस्त्र देती हैं जिनमें मल नहीं लगेगा शील की रक्षा होगी
नारी धर्म क्या है इसे बताया
यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है
हमें इसे समझना चाहिये
पश्चिम की बयार कितनी घातक रही है जिसके व्यामोह में हम फंसते चले गये और हम इनके महत्त्व से अनजान रहे
सान्द्रानन्दपयोदसौभगतनुं पीताम्बरं सुन्दरं
पाणौ बाणशरासनं कटिलसत्तूणीरभारं वरम्
राजीवायतलोचनं धृतजटाजूटेन संशोभितं
सीतालक्ष्मणसंयुतं पथिगतं रामाभिरामं भजे।।2।।
भगवान् राम के दोनों हाथों में धनुष बाण हैं जो अत्यन्त आवश्यक हैं एक ओर तो पीतांबर पहने हैं लेकिन इसके बाद भी धनुष बाण धारण किये हुए हैं
ऐसे राम का भक्तिपूर्वक हम लोग ध्यान करें
विलासिनी दुष्टा शूर्पणखा जब राम को पथ से डिगाने की कोशिश करती है वहां संयम सात्विकता कौशल की परीक्षा हो जाती है
ताड़का का तो वध हुआ लेकिन शूर्पणखा के नाक कान कटते हैं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने अत्यन्त मृदु स्वभाव के स्व आचार्य हेमन्त जी को श्रद्धाञ्जलि दी
भैया विजय मित्तल भैया सौरभ राय का उल्लेख क्यों हुआ
राजीव दीक्षित का नाम आचार्य जी ने क्यों लिया जानने के लिये सुनें