2.9.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 2 सितम्बर 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है कृतायास आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 2 सितम्बर 2022

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

सार -संक्षेप 2/35



शरीर को साधन मानकर साध्य के लिये सदुपयोग करने की आवश्यकता है  यदि हमारी साधना साधन और साध्य हेतु चलती रहती है तो समस्याओं को सुलझाने के उपाय हम आसानी से पा लेते हैं


हमें विकारों से दूर होने का प्रयास करते हुए सद्विचारों के साथ जीवन किन्तु सहज जीना चाहिये


लेकिन विकारों से मुक्त होकर ही कोई काम करने का हम प्रयास करेंगे तो कर ही नहीं पायेंगे


सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत्।


सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः।।18.48।।


विचारों के मल को विकार कहते हैं  हम इसी जड़ चेतन गुण दोष वाले  संसार का अंश हैं


चिन्ता और चिन्तन में इसी प्रकार  मनु बैठे थे



दु:ख की पिछली रजनी बीच 


विकसता सुख का नवल प्रभात; 


एक परदा यह झीना नील 


छिपाए है जिसमें सुख गात। 


जिसे तुम समझे हो अभिशाप, 


जगत की ज्वालाओं का मूल; 


ईश का वह रहस्य वरदान, 


कभी मत इसको जाओ भूल। 


विषमता की पीड़ा से व्यस्त 


हो रहा स्पंदित विश्व महान; 


यही दु:ख सुख विकास का सत्य 


यही भूमा का मधुमय दान।


जो ब्रह्माण्ड में है वही पिण्ड में है


जुटाओ हौसला संसार सागर पार करने का

कि कर लो फैसला अपने रगों पर धार धरने का...


शिथिल होकर अपने कर्तव्य से विमुखता बहुत बड़ा नुकसान कर देती है इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को अपना कर्तव्य समझना है और उसी के अनुसार उसे उस कर्तव्य को पूरा करना है

जैसे राष्ट्र -निष्ठा से परिपूर्ण समाजोन्मुखी व्यक्तित्व का उत्कर्ष हमारा लक्ष्य है तो उसे हासिल करना ही है


बेचारगी से दूर रहें


विधाता का सृजन मन का भजन तन का यजन हूं मैं

भले हो पांव धरती पर मगर मन से गगन हूं मैं

हमारी जिंदगी में झांकने की कोशिशें मत कर

अनोखे कर्म की चिर साधना में ही मगन हूं मैं



आचार्य जी का यह संप्रेषण अनोखा कर्म है जिसके माध्यम से अपना बहुमूल्य समय निकालकर आचार्य जी हमें बिना स्वार्थ के नित्य प्रेरित करते हैं यह हमारा सौभाग्य है हमें इसका महत्त्व समझना चाहिये

दूरस्थ शिक्षा का यह अद्वितीय उदाहरण है


राजनीति की व्याकुलता, अर्थ   प्राप्ति की आपाधापी आदि का भी आचार्य जी ने संकेत दिया

परिस्थितियां कैसी भी हों हमें निराश नहीं होना चाहिये

इसके अतिरिक्त 

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