4.9.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 4 सितम्बर 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है कृतकर्मन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 4 सितम्बर 2022

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

सार -संक्षेप 2/37


शरीर यदि स्वस्थ नहीं है तो शरीर से ही गुम्फित होने के कारण विचार अव्यवस्थित हो जाते हैं

प्रातःकाल की इस सदाचार वेला से संयुत होने का प्रयास हम इसलिये करते हैं ताकि हम अपना शरीर स्वस्थ रख सकें विचार व्यवस्थित हो जाएं 

 सदाचरण की ओर बिना किसी के आग्रह के हम उन्मुख हो सकें



तप क्या है?


उपभोग्य विषयों का परित्याग करके शरीर और मन को दृढ़तापूर्वक संतुलित और समाधि की अवस्था में स्थिर रखना ही तप है


तप की विशुद्ध शक्ति द्वारा मनुष्य असाधारण काम कर जाता है


शास्त्र की दृष्टि से सामर्थ्य दो प्रकार का होता है

ब्राह्म्य तेज और शास्त्र तेज


देवद्विजगुरुप्राज्ञपूजनं शौचमार्जवम्।


ब्रह्मचर्यमहिंसा च शारीरं तप उच्यते।।17.14।।


इस संसार में संवेदनशील लोगों की जीवन यात्रा सुख दुःख उल्लास निराशा शान्ति अशान्ति के साथ चलती रहती है


जो संवेदनाशून्य हैं वो पशु के समान हैं 


साहित्यसंगीतकलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः ।


तृणं न खादन्नपि जीवमानस्तद्भागधेयं परमं पशूनाम् ॥12॥


येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।

ते मृत्युलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ॥13॥


विचित्र संसार है ये



जिस देश में हम जन्मे हैं वह संसार समझने के लिये लालायित रहने वाली एक ऐसी मानव जाति है जो अद्वितीय अप्रतिम अद्भुत अनोखी है


हिन्दुत्व का उभार हो रहा है हमें अपनी मंजिल मिलेगी यही मनुष्यत्व है तपोन्मुखता है


युगभारती प्रेम आत्मीयता पारिवारिकता राष्ट्रनिष्ठा समाज -सेवा दर्शाता एक अद्भुत संगठन है यदि हम इस संगठन से संयुत हैं तो इसका लाभ भी प्राप्त कर रहे हैं



यह भी अद्भुत उपलब्धि है कि हम ऐसे कई संगठनों से संयुत हैं जिनके विचार हमसे मेल खाते हैं


वसुधैव कुटुम्बकम् प्रेम का विस्तार  ही है



युगभारती प्रेम का विस्तार है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी प्रेम का विस्तार है


ऐसी ही और भी संस्थाएं हैं यही इस संस्कृति की जीवनी शक्ति है



त्याग तपस्या विचारशुद्धि शौर्य शक्ति भक्ति  का प्रयास चलता रहता है


इसी कारण इतने संघर्षों में उलझे होने के बाद भी हम जीवित हैं हमारी संस्कृति कभी न नष्ट होने वाली है


हमें ऐसा वातावरण निर्मित करना है जिससे किन्हीं कारणों से धर्मपरिवर्तित कर गये लोगों को पता चल सके कि वे कभी हिंदू ही थे


हम सजग सचेत रहें शौर्य शक्ति का उचित स्थान पर प्रयोग आवश्यक है शास्त्र तेज बहुत आवश्यक है


समान विचारधारा के लोगों को अपने संगठन से संयुत करने का अधिक से अधिक प्रयास करें


 आचार्य जी ने बताया कि

स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का जलावतरण देश के लिए ऐतिहासिक है

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया प्रदीप भैया अरविन्द भैया राहुल मिठास भैया मुकेश का नाम क्यों लिया जानने के लिये सुनें