प्रस्तुत है कृतकाम आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 6 सितम्बर 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
सार -संक्षेप 2/39
कल हमें जानकारी प्राप्त हुई कि युग निर्माण योजना द्वारा एक 'राजसूय यज्ञ 'मियांगंज उन्नाव में 10से 14 नवम्बर 2022 को होने जा रहा है
यज्ञ जप दान ध्यान पूजन सात्विक आचरण स्वाध्याय संयम पर ध्यान केन्द्रित करने वाली संस्था युग निर्माण योजना की संकल्पना पं॰ श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा मथुरा में आयोजित सन् 1958 के सहस्रकुण्डीय गायत्री महायज्ञ के समय की थी। व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण का बड़ा लक्ष्य लेकर यह अभियान पंडित जी ने 1962 में गायत्री तपोभूमि, मथुरा से प्रारम्भ किया।
स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन एवं सभ्य समाज की अभिनव रचना का लक्ष्य पूरा करने हेतु यह आंदोलन पूरे विश्व में चलाया जा रहा है।
यज्ञदानतपःकर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत्।
यज्ञो दानं तपश्चैव पावनानि मनीषिणाम्।।18.5।।
यज्ञ तप दान पर हमारी संस्था युग भारती भी कुछ न कुछ करती रहती है लेकिन हमें इस दिशा में और अधिक विस्तार करने की आवश्यकता है
यज्ञ तप ज्ञान के सम्बन्ध में पहले हमें ज्ञान होना चाहिये
यजुर्वेद आदि में यज्ञ विधि का बहुत विस्तार है वैदिक विधानों में धार्मिक कार्यों में यज्ञ प्रमुख कर्म है
यज्ञ क्या है?
विधानपूर्वक किया गया यज्ञ इस संसार और स्वर्ग दोनों में दृश्य और अदृश्य पर चेतन अचेतन पर अधिकार पाने का
साधन है
यज्ञ आदिकाल से चला आ रहा है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बताया कि कामधेनु तन्त्र में सभी वर्णों का वर्णन नहीं है जैसे चवर्ग का नहीं है तन्त्र शास्त्र में अनेक वर्णों का विस्तार है
बिना व्यञ्जनों के भाषा बन नहीं सकती इन्हीं से भाषा इन्द्रियगम्य होती है कवर्ग चवर्ग टवर्ग तवर्ग पवर्ग के अतिरिक्त य र ल व अन्तःस्थ वर्ण हैं
हमें इनकी जानकारी होनी चाहिये
धीरज और धर्म को बहुत संजोकर रखना चाहिये इसके लिये आचार्य जी ने एक कथा सुनाई कि किस प्रकार लोहे का टुकड़ा मिट्टी हो गया
हमें जन्मदिन मनाने की आधुनिक परम्परा को बदलना होगा
आचार्य जी ने वर्षकृत्य कौमुदी की चर्चा की जिसमें पृष्ठ 553-564 तक जन्मदिन मनाने के विधि विधान हैं
समय मयूख और तिथि तत्व में भी
भोग रोग का आधार है इसलिये त्याग की महत्ता है