12.11.22

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 12नवम्बर 2022 का सदाचार संप्रेषण

 कहु कपि रावन पालित लंका। केहि बिधि दहेउ दुर्ग अति बंका॥

प्रभु प्रसन्न जाना हनुमाना। *बोला बचन बिगत अभिमाना*॥3॥


प्रस्तुत है वलूल आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 12नवम्बर 2022 

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

  471 वां सार -संक्षेप

वलूल =शक्तिशाली



.. बोला बचन बिगत अभिमाना॥3॥

भगवान् से प्रार्थना करें कि हम लोगों में भी कभी दम्भ न आये इसमें अतिशयोक्ति नहीं कि हम सब में किसी न किसी बात पर दम्भ जरूर आता है इसलिये नित्य इसके शमन के लिये इन सदाचार संप्रेषणों का सहारा लें

आइये चलते हैं  सुन्दर कांड में


सीता कै अति बिपति बिसाला। बिनहिं कहें भलि दीनदयाला॥5॥


निमिष निमिष करुनानिधि जाहिं कलप सम बीति।

बेगि चलिअ प्रभु आनिअ भुज बल खल दल जीति॥31॥


सुनि सीता दु:ख प्रभु सुख अयना। भरि आए जल राजिव नयना॥

बचन कायँ मन मम गति जाही। सपनेहुँ बूझिअ बिपति कि ताही॥1॥


सुनु सुत तोहि उरिन मैं नाहीं। देखेउँ करि बिचार मन माहीं॥

पुनि पुनि कपिहि चितव सुरत्राता। लोचन नीर पुलक अति गाता॥4॥


सुनि प्रभु बचन बिलोकि मुख गात हरषि हनुमंत।

चरन परेउ प्रेमाकुल त्राहि त्राहि भगवंत॥32॥



बार बार प्रभु चहइ उठावा। प्रेम मगन तेहि उठब न भावा॥

प्रभु कर पंकज कपि कें सीसा। सुमिरि सो दसा मगन गौरीसा॥1॥



भगवान् उनको बार-बार उठाना चाहते हैं, परंतु प्रेम में निमज्जित हनुमान जी को उनके चरणों से उठना अच्छा नहीं लग रहा प्रभु का हाथ हनुमान जी के सिर पर है। उस स्थिति को याद करके शिव जी प्रेममग्न हो गये



सावधान मन करि पुनि संकर। लागे कहन कथा अति सुंदर॥

कपि उठाई प्रभु हृदयँ लगावा। कर गहि परम निकट बैठावा॥2॥


कहु कपि रावन पालित लंका। केहि बिधि दहेउ दुर्ग अति बंका॥

प्रभु प्रसन्न जाना हनुमाना। बोला बचन बिगत अभिमाना॥3॥


साखामग कै बड़ि मनुसाई। साखा तें साखा पर जाई॥

नाघि सिंधु हाटकपुर जारा। निसिचर गन बधि बिपिन उजारा॥4॥



सो सब तव प्रताप रघुराई। नाथ न कछू मोरि प्रभुताई॥5॥



इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने मियांगंज में चल रहे राजसूय यज्ञ की चर्चा की

जिसमें कल कमल आनन्द जी (पूर्व में  डा कमल टावरी जी 1968 बैच के पूर्व आई ए एस प्रमुख सचिव )और भाग्योदय फाउंडेशन के संस्थापक श्री राममहेश मिश्रा जी आदि उपस्थित रहे

आचार्य जी ने 

भैया यज्ञदत्त जी के सहयोग की चर्चा की

आज लखनऊ से प्रेम भूषण जी महाराज राजसूय यज्ञ में आ रहे हैं

हम भी  आमन्त्रित हैं और  हमारे पास सात्विक संसार में प्रवेश करने का एक अवसर है