18.11.22

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 18 नवम्बर 2022 का सदाचार संप्रेषण

 जय श्री राम जय जय श्री राम 


प्रस्तुत है अनून *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 18 नवम्बर 2022 

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

  477 वां सार -संक्षेप

*महान्




निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा॥


जो व्यक्ति ईश्वरीय संयोगों का अनुभव कर  व्यक्ति से व्यक्तित्व की यात्रा को सफलीभूत करते हैं उनके जन्म और निर्वाण दिवस पूजनीय और स्मरणीय हो जाते हैं जैसे अनेक व्यक्तियों के प्रेरक प्रकाशपुंज राम मंदिर आंदोलन के नायक हिन्दुत्व जागरण के पुरोधा अशोक सिंघल जी का कल निर्वाण दिवस था



वंदन नमन और अभिनंदन उस अनुभूति अभिज्ञा का, 

सुखद संस्मरण जन्मभूमि की अभिनव भीष्म प्रतिज्ञा का ।।



दुष्ट अकबर के शासन में जब नारियां बिकती थीं सनातन धर्म को नष्ट करने का प्रयास चल रहा था घोर निराशा के वातावरण में तुलसीदास एक  आशा की किरण बनकर आये


एहिं कलिकाल न साधन दूजा। जोग जग्य जप तप ब्रत पूजा।।

रामहि सुमिरिअ गाइअ रामहि। संतत सुनिअ राम गुन ग्रामहि।।


राम का भजन शक्ति प्रदाता है

हमें भी अपने व्यक्तित्व की अनुभूति करने की आवश्यकता है हम पशु से भिन्न हैं मनुष्य के रूप में जन्म लेने का क्या अर्थ यदि मनुष्यत्व की अनुभूति न हो

रुपया पैसा ही संपत्ति नहीं है


जहाँ सुमति तहँ संपति नाना। जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना॥3॥..

सद्बुद्धि की बहुत आवश्यकता है और इसके लिये हमें चिन्तन करना चाहिये

हम आत्मस्थ होने की चेष्टा करें और फिर कर्मयोद्धा बनकर सामने आयें


यही हेतु है आचार्य जी का उस मानस कथा, जो तुलसी का व्यक्तित्व है, जो वेद आधारित संस्कृति है, जो कुटिया से महल तक सर्वत्र पहुंच गई, को कहने का जिसमें पुनः आज हम प्रवेश करने जा रहे हैं

सुन्दर कांड में आगे 



जिस सभा में किसी की बोलने तक की हिम्मत नहीं थी उसमें विभीषण कहता है


रामु सत्यसंकल्प प्रभु सभा कालबस तोरि।

मैं रघुबीर सरन अब जाउँ देहु जनि खोरि॥41॥



रावन जबहिं बिभीषन त्यागा। भयउ बिभव बिनु तबहिं अभागा॥

चलेउ हरषि रघुनायक पाहीं। करत मनोरथ बहु मन माहीं॥2॥

पहले तो हनुमान जी की अवज्ञा के कारण सोने की लंका भस्मीभूत हो गई और अब विभीषण के जाने से रावण वैभवहीन हो गया


इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया

महाराणा प्रताप और शिवाजी का नाम उन्होंने क्यों लिया  आचार्य जी कहां जा रहे हैं जानने के लिये सुनें