6.11.22

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 6 नवम्बर 2022 का सदाचार संप्रेषण

 सत्यानुसारिणी लक्ष्मीः कीर्तिस्त्यागानुसारिणी ।

अभ्याससारिणी विद्या बुद्धिः कर्मानुसारिणी ॥


प्रस्तुत है ज्ञान -वस्त्य आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 6 नवम्बर 2022 

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

  465 वां सार -संक्षेप

वस्त्यम् =घर

 सुन्दर कांड के प्रसंग अद्भुत हैं मां सीता के द्वारा हनुमान जी को सोत्साह मिले वरदान को हनुमान जी द्वारा आजीवन ग्रहण करने की पात्रता अद्वितीय है


सुनु माता साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल।

प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल॥16॥



अजर अमर गुननिधि सुत होहू। करहुँ बहुत रघुनायक छोहू॥


हनुमान जी को चित्र में वृद्ध दिखाना समझ से परे है वो तो आज भी अजर विद्यमान हैं 

*करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना। निर्भर प्रेम मगन हनुमाना॥2॥*

निर्भरा भक्ति की बात क्या कहें

हम इसका श्रवण कर रहे हैं यह भगवान् राम का हनुमान जी का हम लोगों को मिला आशीर्वाद है 





मां सीता और हनुमान जी दोनों का परस्पर का संवाद अद्भुत है


आइये इस कांड का श्रवण करते हैं


अबहिं मातु मैं जाउँ लवाई। प्रभु आयुस नहिं राम दोहाई॥

कछुक दिवस जननी धरु धीरा। कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा॥2॥


निसिचर मारि तोहि लै जैहहिं। तिहुँ पुर नारदादि जसु गैहहिं॥ हैं सुत कपि सब तुम्हहि समाना। जातुधान अति भट बलवाना॥3॥



मोरें हृदय परम संदेहा। सुनि कपि प्रगट कीन्हि निज देहा॥

कनक भूधराकार सरीरा। समर भयंकर अतिबल बीरा॥4॥


सारे गुण वाले हनुमान जी ने विशाल शरीर प्रकट कर दिया



और फिर छोटा रूप धर लिया

सीता मन भरोस तब भयऊ। पुनि लघु रूप पवनसुत लयऊ॥5॥


मन संतोष सुनत कपि बानी। भगति प्रताप तेज बल सानी॥


मां द्वारा दिया आशीर्वाद तो कवच बन जाता है

बार बार नाएसि पद सीसा। बोला बचन जोरि कर कीसा॥

अब कृतकृत्य भयउँ मैं माता। आसिष तव अमोघ बिख्याता॥3॥


मां सीता ने आशीर्वाद दे दिया


आसिष दीन्हि राम प्रिय जाना। होहु तात बल सील निधाना॥1॥


फिर हनुमान जी ने वहां फल खाये और


नाथ एक आवा कपि भारी। तेहिं असोक बाटिका उजारी॥

खाएसि फल अरु बिटप उपारे। रच्छक मर्दि मर्दि महि डारे॥2॥