प्रस्तुत है ज्ञान -रीति *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 20 दिसंबर 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
509 वां सार -संक्षेप
* रीति =मार्ग
जो किसी को कुछ अच्छी बात बताना चाहता है वह गुरुत्व की अभिव्यक्ति है
गुरुत्व सबको प्राप्त नहीं होता लेकिन इसका अंश सभी में रहता है
गुरुत्व की अनुभूति जिनको होने लगती है वह उस गुरुत्व को संरक्षित न कर विकसित करने की चेष्टा करने लगते हैं
यही व्यक्ति महान् व्यक्ति कहलाते हैं
आचार्य जी भी अपने गुरुत्व को विकसित करते हुए इन सदाचार संप्रेषणों के माध्यम से हमें अपने गुरुत्व की अनुभूति कराने की चेष्टा करते हैं
सदाचार एक प्रयास है अपने स्वभाव को परिवर्तित करने का, हम रामत्व धारण करें समजोन्मुखी राष्ट्रोन्मुखी बनें
भगवान् राम से पुरुषार्थमय जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है
हम सभी के अन्दर रामत्व और रावणत्व दोनों विद्यमान रहता है
और हमें एक बात और ध्यान रखनी चाहिये कि हम गुरु के अवगुणों को न देखकर सद्गुणों की ओर देखें
भलेउ पोच सब बिधि उपजाए। गनि गुन दोष बेद बिलगाए॥
कहहिं बेद इतिहास पुराना। बिधि प्रपंचु गुन अवगुन साना॥2॥
भले लोग बुरे लोग सभी ब्रह्मा ने पैदा किए हैं, किन्तु गुणों और दोषों को विचार कर वेदों ने उनको विभाजित कर दिया है। वेद, इतिहास और पुराण यह कहते हैं कि ब्रह्मा की यह सृष्टि गुण-अवगुणों से युक्त है
अस बिबेक जब देइ बिधाता। तब तजि दोष गुनहिं मनु राता॥
काल सुभाउ करम बरिआईं। भलेउ प्रकृति बस चुकइ भलाईं॥1॥
तुलसीदास जी पर ईश्वरीय कृपा थी उनका सदाचार का प्रयास सहज प्रारम्भ हो गया
आइये चलते हैं उन्हीं की कृति मानस के लंका कांड में
राक्षसों के सामने हनुमान जी का आवेश देखते ही बनता है
रावण का पुत्र रावण को हिम्मत बंधाता है
तब सकोप बोलेउ घननादा॥
कौतुक प्रात देखिअहु मोरा। करिहउँ बहुत कहौं का थोरा॥3॥
मेघनाद सुनि श्रवन अस गढ़ पुनि छेंका आइ।
उतर्यो बीर दुर्ग तें सन्मुख चल्यो बजाइ॥49॥
हनुमान जी तो हर संकट में साथ हैं
देखि पवनसुत कटक बिहाला। क्रोधवंत जनु धायउ काला॥
महासैल एक तुरत उपारा। अति रिस मेघनाद पर डारा॥1॥
इसके बाद लक्ष्मण मेघनाथ में युद्ध प्रारम्भ हो जाता है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने अवधेशानन्द जी की चर्चा क्यों की भैया शीलेन्द्र जी ने क्या प्रेधित किया था जानने के लिये सुनें