जेहिं बिधि राम बिमुख मोहि कीन्हा। तेहिं पुनि यह दारुन दु:ख दीन्हा॥
जौं मोरें मन बच अरु काया॥ प्रीति राम पद कमल अमाया॥3॥
प्रस्तुत है आत्मवश्य *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 23 दिसंबर 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
*512 वां* सार -संक्षेप
*अपने मन और इन्द्रियों को वश में रखने वाला व्यक्ति
इन अर्थवान सदाचार संप्रेषणों के माध्यम से हम समस्याओं के अम्बार को भगवान् राम की कृपा से और मनुष्यत्व जाग्रत कर दूर करने का प्रयास करते हैं
देवों और दानवों की सूक्ष्म शक्तियां इस अंतरिक्ष में तैरती रहती हैं जो हमारे अस्तित्व व्यक्तित्व की रक्षा करती हैं और संकट भी उत्पन्न करती हैं
अब यह हमारे पूर्वजन्म के प्रारब्ध हमारे आचरण व्यवहार कर्म पर आधारित होता है कि हमें क्या अधिक मिलता है
एक दूसरे के सहयोग से यह संसार चलता रहता है
दूसरे की कमजोरी को अपनी शक्ति क्षमता से दूर करने का हमें प्रयास करना चाहिये यही अपनत्व है
आत्मस्थ होने का प्रयास करें
रामत्व की अनुभूति करते हुए
आइये लंका कांड में पुनः चलते हैं
देखा सैल न औषध चीन्हा। सहसा कपि उपारि गिरि लीन्हा॥
गहि गिरि निसि नभ धावक भयऊ। अवधपुरी ऊपर कपि गयऊ॥4॥
हनुमान जी पर्वत लेकर लौट रहे हैं
बिस्व भरन पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई॥
शक्ति बुद्धि विचार सहन करने की असीम क्षमता वाला व्यक्ति ही विश्व का भरण पोषण कर सकता है भरत ऐसे ही हैं उन भरत ने अयोध्या पर संकट देखकर हनुमान जी पर प्रहार कर दिया
हनुमान जी की बात सुनकर भरत जी दुःखी हो गये
सांकेतिक विलाप कर बोले
अहह दैव मैं कत जग जायउँ। प्रभु के एकहु काज न आयउँ॥
जानि कुअवसरु मन धरि धीरा। पुनि कपि सन बोले बलबीरा॥2॥
तात गहरु होइहि तोहि जाता। काजु नसाइहि होत प्रभाता॥
चढ़ु मम सायक सैल समेता। पठवौं तोहि जहँ कृपानिकेता॥3॥
हनुमान जी को भेज दिया
उधर लक्ष्मण जी के बारे में सुनकर अयोध्या में हलचल मच गई
आचार्य जी ने यहां अन्य ग्रंथों का संदर्भ देकर बताया कि मां सुमित्रा का मातृत्व विलक्षण
त्याग और बलिदान का प्रतीक है और मां उर्मिला का भी बड़ा मार्मिक प्रसंग है
और उधर
उहाँ राम लछिमनहि निहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी॥
अर्ध राति गइ कपि नहिं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायउ॥1॥
भगवान राम का लक्ष्मण के प्रति प्रेम देखते ही बनता है
हनुमान जी पहुंच गये हैं
इसके अतिरिक्त समास शैली और व्यास शैली में क्या अन्तर है मा अशोक सिंघल जी का नाम क्यों आया जानने के लिये सुनें