25.12.22

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 25 दिसंबर 2022 का सदाचार संप्रेषण

 निर्मानमोहा जितसङ्गदोषा


अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः।


द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसंज्ञै


र्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत्।।15.5।।


प्रस्तुत है आत्मयाजिन् *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 25 दिसंबर 2022 

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

  *514 वां* सार -संक्षेप

*वह पुरुष जो शाश्वत आनन्द प्राप्ति हेतु स्वयं की और दूसरों की आत्मा का अध्ययन करता हो

ईश्वरत्व यही है जो दूसरे के ताप का हरण कर उसे शैत्य प्रदान करे

हम सभी पुरुष जो उस परमपुरुष के अंश हैं यदि सुख दुःख के द्वन्द्व से मुक्त हैं संसार और सार को समझने का विचार और विवेक यदि हमारे साथ संयुत रहता है तो हम प्रसन्न रहते हैं और अन्य को भी प्रसन्न रखते हैं

यही प्रसन्नता रखते हुए आइये प्रवेश करते हैं लंका कांड में


हरषि राम भेंटेउ हनुमाना। अति कृतग्य प्रभु परम सुजाना॥

तुरत बैद तब कीन्ह उपाई। उठि बैठे लछिमन हरषाई॥1॥

लक्ष्मण जी अब उठ गये हैं


तुलसीदास जी की अद्भुत कल्पना देखिये असंगति अलंकार (कार्य कहीं परिणाम कहीं )का उत्कृष्ट उदाहरण है यह



गीतावली में


हृदय घाउ मेरे पीर रघुबीरै |

  पाइ सजीवन, जागि कहत यों प्रेमपुलकि बिसराय सरीरै ||


  मोहि कहा बूझत पुनि पुनि, जैसे पाठ-अरथ-चरचा कीरै |

  सोभा-सुख, छति-लाहु भूपकहँ, केवल कान्ति-मोल हीरै ||


  तुलसी सुनि सौमित्रि-बचन सब धरि न सकत धीरौ धीरै |

  उपमा राम-लषनकी प्रीतिकी क्यों दीजै खीरै-नीरै ||

घाव लक्ष्मण जी के है लेकिन पीड़ा प्रभु राम को है


प्रेम में पुलकित होने पर शरीर का भान नहीं रहता


उधर कुम्भकर्ण जब निद्रा में था तो उसका राक्षसत्व शमित था 

जगदंबा हरि आनि अब सठ चाहत कल्यान॥1

लेकिन जैसे उसका राक्षसत्व उस पर हावी हुआ


यही भाव परिवर्तन संसार है


कुंभकरन दुर्मद रन रंगा। चला दुर्ग तजि सेन न संगा॥1॥


सात्विक कथा को तामसी कथा से तुलसीदास जी ने अद्भुत रूप से संयुत किया है


 कुम्भकर्ण   युद्धरत है 


तब मारुतसुत मुठिका हन्यो। परयो धरनि ब्याकुल सिर धुन्यो॥


भयानक युद्ध चल रहा है



कुम्भकर्ण हावी हो रहा है तब राम जी अपने हाथ में कमान लेते हैं


सुनु सुग्रीव बिभीषन अनुज सँभारेहु सैन।

मैं देखउँ खल बल दलहि बोले राजिवनैन॥67॥

इसके अतिरिक्त


*युग भारती आज  बैच 97 के सदस्यों का रजत जयन्ती कार्यक्रम मना रही है*


*आप सभी सदस्य अपने परिवारजनों के साथ प्रातःकाल दस बजे से अपराह्न भोजन के पश्चात तक हम सभी के साथ रहेंगे, ऐसी अपेक्षा करते हैं |*


YouTube (https://youtu.be/YzZRHAHbK1w)

अत्यादित्य वागृषभ आचार्य श्री ओम शंकर त्रिपाठी जी

Idea                                     :        Ajay Shanker Dixit, Mohan Krishna Mishra

 Director and Producer     :        Praveen Agarwal

Executive Producer           :       Mina Rani Agarwal

Assistant Executive 

Producer,

 Cinematographer,

Director of Photography    :       Ram Pratap

Assistant Director of