3.12.22

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 3 दिसंबर 2022 का सदाचार संप्रेषण

 बिस्वरूप रघुबंस मनि करहु बचन बिस्वासु।

लोक कल्पना बेद कर अंग अंग प्रति जासु॥ 14॥



प्रस्तुत है  धीसख *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 3 दिसंबर 2022 

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

  492 वां सार -संक्षेप

* परामर्शदाता


यह संसार बहुत अद्भुत है अच्छे अच्छे चिन्तक विचारक मनीषी इस संसार की अद्भुतता में भ्रमित हो जाते हैं

भय भ्रम संसार के स्वरूप का एक हिस्सा है संसार में रहने जीने कर्म करने का बल हमें मिले इसकी परमात्मा इष्टदेव से याचना करनी चाहिये


आइये लंका कांड में प्रवेश करते हैं


दंभी रावण को न तो मन्दोदरी की बात समझ में आई न प्रहस्त की दंभी किसी की नहीं सुनता

बाजहिं ताल पखाउज बीना। नृत्य करहिं अपछरा प्रबीना॥


सुनासीर सत सरिस सो संतत करइ बिलास।

परम प्रबल रिपु सीस पर तद्यपि सोच न त्रास॥ 10॥


रावण लगातार सैकड़ों इंद्रों के समान भोग-विलास करता रहता है। यद्यपि राम के रूप में प्रबल शत्रु सिर पर है, फिर भी उसको चिंता भय नहीं है



इहाँ सुबेल सैल रघुबीरा। उतरे सेन सहित अति भीरा॥

सिखर एक उतंग अति देखी। परम रम्य सम सुभ्र बिसेषी॥


यहाँ भगवान् सुबेल पर्वत पर सेना की बड़ी भीड़ के साथ उतरे। पर्वत का एक बहुत ऊँचा, परम रमणीय, समतल और  उज्ज्वल शिखर दिख रहा है



लंका के बारे में विभीषण से जानकारी ली जा रही है

सभी को विश्वास होना चाहिये कि राम मात्र वन वन भटकते राजकुमार नहीं हैं राम तो राम हैं


छत्र मुकुट तांटक तब हते एकहीं बान।

सब कें देखत महि परे मरमु न कोऊ जान॥ 13 (क)॥


भगवान् राम ने एक ही बाण से रावण के छत्र-मुकुट और मंदोदरी के कर्णफूल काट गिराए। सबके देखते-देखते वे जमीन पर आ पड़े, पर इसका भेद कोई नहीं जान पाया



अस कौतुक करि राम सर प्रबिसेउ आइ निषंग।

रावन सभा ससंक सब देखि महा रसभंग॥ 13 (ख)॥


ऐसा चमत्कार करके राम  जी का बाण वापस आकर  तरकस में पहुंच गया । यह रंग में भंग देखकर रावण की सारी सभा विचलित हो गई

श्री राम का अस्त्र संचालन अद्भुत है 



इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने चन्द्रमा के काले धब्बे के बारे में  क्या बताया वीरासन में कौन बैठा है जानने के लिये सुनें