5.12.22

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 5 दिसंबर 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है व्यक्तविक्रम *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 5 दिसंबर 2022 

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

  494वां सार -संक्षेप

* शक्ति प्रदर्शित करने वाला



भारतीय जीवनपद्धति में रचे बसे लोग सांसारिक प्रपंचों में फंसने के साथ साथ संसारेतर चिन्तन भी करते हैं उसी संसारेतर चिन्तन के लिये हमारे सामने ये सदाचार वेलाएं उपलब्ध हैं हमें इनका लाभ लेना चाहिये ताकि संसार सागर में न हम डूबें न भटकें


ॐ सह नाववतु ।

सह नौ भुनक्तु ।

सह वीर्यं करवावहै ।

तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।

वाले भाव का आदर करते हुए


पूर्णता की साधना में रत होते हुए


शिक्षक शिक्षार्थी के भाव में चिन्तनरत होते हुए आगे चलने पर समस्याओं के हल हम निकाल लेंगे

मानस में भी हमें समस्याओं के हल मिलते हैं

राम की कथा जीवन की कथा है मनुष्य की कथा है जीवनदर्शन है

आइये प्रवेश करते हैं उसी मानस के लंका कांड में

जहां 

विदुषी सुविज्ञा शक्तिसंपन्ना पूज्या नित्य स्मरणीया पञ्चकन्याओं में से एक मां मन्दोदरी  सब कुछ प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले असीमता की चाह रखने वाले  अपने को ज्ञानी समझने वालेi मलिन बुद्धि वाले भ्रमित दंभी प्राणपति रावण

(फूलइ फरइ न बेत जदपि सुधा बरषहिं जलद।

मूरुख हृदयँ न चेत जौं गुर मिलहिं बिरंचि सम॥ 16 (ख)॥)



  को समझा रही हैं कि राम (भगवान ) वन वन भटकने वाले साधारण मनुष्य नहीं हैं

वो तो


अहंकार सिव बुद्धि अज मन ससि चित्त महान।

मनुज बास सचराचर रूप राम भगवान॥ 15(क)॥



शिव जिनका अहंकार है, ब्रह्मा बुद्धि है, चंद्रमा मन है और महान् (विष्णु) ही चित्त है। वही चराचर रूप भगवान राम मनुष्य रूप में निवास कर रहे हैं

अस बिचारि सुनु प्रानपति प्रभु सन बयरु बिहाइ।

प्रीति करहु रघुबीर पद मम अहिवात न जाइ॥ 15(ख)॥


और इधर सुबेल पर्वत पर प्रातःकाल भगवान राम जागे और उन्होंने सारे मंत्रियों को बुलाकर सलाह पूछी कि शीघ्र बताइए, अब क्या उपाय करना चाहिए? 

तो अंगद को भेजने की योजना बनती है 

भगवान राम को विश्वास है कि हनुमान जी ने जो भूमिका रची है अंगद उस पर लेख लिख देंगे इसलिये

जवानों को प्रेरित करने वाले मानस के दो पात्रों में से एक अंगद (दूसरे हनुमान जी )

 को भेजने की योजना बनी 



बंदि चरन उर धरि प्रभुताई। अंगद चलेउ सबहि सिरु नाई॥

प्रभु प्रताप उर सहज असंका। रन बाँकुरा बालिसुत बंका॥



इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने परामर्श दिया कि बैठकों से चिन्तन में प्रवेश करें और उस चिन्तन को व्यवहार में बदलें तो आनन्द ही आनन्द की अनुभूति होगी

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने डा प्रमोद पांडेय जी का नाम क्यों लिया जानने के लिये सुनें