6.12.22

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 6 दिसंबर 2022 का सदाचार संप्रेषण

 सोइ गुन सागर ईस राम कृपा जा कर करहु॥ 17 (क)॥




प्रस्तुत है तपोराशि *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 6 दिसंबर 2022 

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

  495 वां सार -संक्षेप

*संन्यासी


शौर्य प्रमंडित अध्यात्म हमारा लक्ष्य बन जाये  इन सदाचार वेलाओं का लाभ लेकर हम सुयोग्य सुदक्ष बलशाली सुविज्ञ राष्ट्रभक्त बन सकें इसी का प्रयास आचार्य जी प्रतिदिन करते हैं

आइये चलते हैं लंका कांड में सुबेल पर्वत पर


इहाँ प्रात जागे रघुराई। पूछा मत सब सचिव बोलाई।।

कहहु बेगि का करिअ उपाई। जामवंत कह पद सिरु नाई।।


जामवंत सबसे वृद्ध हैं और इसीलिये सबसे अनुभवी हैं

वृद्ध ज्ञान का भंडार होते हैं 


न सा सभा यत्र न सन्ति वृद्धाः । वृद्धा न ते ये न वदन्ति धर्मम् ॥ नासौ धर्मो यत्र नो सत्यमस्ति । न तत्सत्यं यच्छलेनानुविद्वम् ॥ (१)

वह सभा ही कैसी जिसमें वृद्ध न हों

वृद्धों को मान सम्मान मिलना चाहिये 

युवा में शक्ति बुद्धि बल होता है लेकिन अनुभव का विवेक नहीं

वृद्ध में अनुभव- बल होता है



आचार्य जी ने यह भी बताया कि अंगद को दूत बनाकर क्यों भेजा गया


सुभाषित रत्नाकर में दूत के गुण बताये गये हैं

वह बुद्धिमान,बोलने में चतुर,ज्ञानी,दूसरों की चित्तवृत्ति जानने वाला, धीर,जैसा कहा जाये वैसा ही बोलने वाला, निर्भय होता है अंगद में ये सब गुण थे 

बालि में अनेक गुण थे लेकिन दम्भ और वासना के कारण वह मारा गया था

लेकिन 

मरते समय उसका ज्ञान खुल गया था

यह तनय मम सम बिनय बल कल्यानप्रद प्रभु लीजिये।

गहि बाँह सुर नर नाह आपन दास अंगद कीजिये॥2॥



बहुत बुझाइ तुम्हहि का कहऊँ। परम चतुर मैं जानत अहऊँ॥

काजु हमार तासु हित होई। रिपु सन करेहु बतकही सोई॥


भगवान ने अंगद को उसका बल याद दिला दिया

अब रामत्व देखिये रावण को मारने के बजाय रावणी वृत्ति समाप्त करना उद्देश्य है


एक एक सन मरमु न कहहीं। समुझि तासु बध चुप करि रहहीं॥

भयउ कोलाहल नगर मझारी। आवा कपि लंका जेहिं जारी॥

जिसने लंका जलाई थी वही लौट आया है जब कि ये अंगद हैं हनुमान जी नहीं 


गयउ सभा दरबार तब सुमिरि राम पद कंज।

सिंह ठवनि इत उत चितव धीर बीर बल पुंज॥ 18॥


दंभी रावण भयभीत तो है लेकिन प्रकट नहीं करता