9.12.22

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 9 दिसंबर 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है कष्टतपस् *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 9 दिसंबर 2022 

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

  498 वां सार -संक्षेप

* घोर तपस्या करने वाला



उदात्त भाव उत्कट भक्ति सुस्पष्ट दिशा सुस्थिर दृष्टि सद्विचारों का अथाह भण्डार रखने वाले आनन्दप्रद व्यवहार करने वाले  भरपूर अनुभव से संपन्न आचार्य जी

नित्य हमें प्रेरित करते हैं कि हम इन सदाचार संप्रेषणों को मात्र सुनें नहीं गुनें भी


हीन भावना मनुष्य की शक्ति बुद्धि विचार को कमजोर कर देती है इसलिये  इसे त्याग कर हम सक्रिय सचेत सर्वसमर्थ बनें


हम सब एक पिता की संतान हैं किसी के दोषों बुराइयों को हम विचार व्यवहार शक्ति बुद्धि से नियन्त्रित संयत संस्कारित करने का प्रयास करते रहे हैं  यही भारतीय जीवन दर्शन है



इस संकेत का अनन्त विस्तार सम्भव है इन भावों विचारों को  ऊंचे से ऊंचे स्तर तक हम पहुंचा सकते हैं



तुलसीदास ने विषम परिस्थितियों के काल में छद्मवेषी रावणीवृत्ति वाले शासक से आक्रांत भारतीयों को प्रेरित करने की दृढ़ता दिखाते हुए मानस की रचना कर डाली

आइये चलते हैं लंका कांड में

जहां अंगद रावण संवाद चल रहा है


अङ्गद रावण संवाद एक नीतिगत विषय है



सत्य नगरु कपि जारेउ बिनु प्रभु आयसु पाइ।

फिरि न गयउ सुग्रीव पहिं तेहिं भय रहा लुकाइ॥ 23(क)॥


बालि से भयभीत रावण बालि के पुत्र के सामने भी भयभीत है

कहता है

हँसि बोलेउ दसमौलि तब कपि कर बड़ गुन एक।

जो प्रतिपालइ तासु हित करइ उपाय अनेक॥ 23(च)॥


तब अंगद कहता है

कह कपि तव गुन गाहकताई। सत्य पवनसुत मोहि सुनाई॥

बन बिधंसि सुत बधि पुर जारा। तदपि न तेहिं कछु कृत अपकारा॥


आपकी  गुणग्राहकता तो मुझे हनुमान ने सुनाई थी। उसने अशोक वन में विध्वंस  कर तुम्हारे पुत्र को मारकर लंका को जला दिया था। तो भी तुमने अपनी गुणग्राहकता से यही समझा कि उसने तुम्हारा कुछ भी अपकार नहीं किया।


दौत्य कर्म को कौशल के साथ प्रस्तुत किया है अंगद ने


एक बहोरि सहसभुज देखा। धाइ धरा जिमि जंतु बिसेषा॥

कौतुक लागि भवन लै आवा। सो पुलस्ति मुनि जाइ छोड़ावा॥



एक कहत मोहि सकुच अति रहा बालि कीं काँख।

इन्ह महुँ रावन तैं कवन सत्य बदहि तजि माख॥ 24॥


एक रावण की बात कहने में तो मुझे बड़ा संकोच हो रहा है  वह बहुत दिनों तक बालि की काँख में रहा था। इनमें से तुम कौन-से रावण हो? खीझना छोड़कर सच-सच बताओ


अंगद ने रावण का पूरा इतिहास बता डाला


(वैसे रावण ने हिम्मत नहीं हारी थी और बाद में उसने शिव को प्रसन्न किया था)

देवत्व हिन्दुत्व दुष्टों को वरदान देकर स्वयं कई बार परेशान हुआ है

हिन्दुत्व का स्वभाव है वह कई बर पराजित हुआ दिखता है

लेकिन हिन्दुत्व मरता नहीं है वह फिर उत्थित होता है

 मानस के इन्हीं तत्त्वों को हमें समझना चाहिये


इसके अतिरिक्त मानेकशा जी का नाम क्यों आया


संगठन की जंजीर की एक भी कड़ी को कमजोर नहीं होना चाहिये से क्या आशय है आचार्य जी का

जानने के लिये सुनें