2.1.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 02-01- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है उरुकीर्ति ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 02-01- 2023 

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

  522 वां सार -संक्षेप


¹ प्रख्यात


सांसारिक प्रपंचों में ही हम उलझकर न रह जायें इसलिये

बुद्धि के पांच भागों में सबसे महत्त्वपूर्ण हमारा विवेक जाग्रत रहे भगवान् से इसकी प्रार्थना करनी चाहिये

हम कभी न अधीर होने वाले संपूज्य लोकोपकारी कल्याणकारी सरल सहज हनुमान जी को अपने भाव विचार क्रिया समर्पित करते चलें 

ऐसे सदाचारमय विचारों का लाभ लेने के लिये आइये शामिल होते हैं इस सदाचार वेला में


लंका कांड में वर्णित धर्मरथ का विषय अत्यन्त गम्भीर है इसे कम शब्दों में समेटना कठिन है यूं तो एक श्लोक वाली रामायण भी उपलब्ध है


विभीषण भय के कारण अधीर हैं अर्जुन भी मोहजनित अधैर्य का शिकार हुए थे


विभीषण समझ रहे हैं साधनों से ही युद्ध जीते जाते हैं

धर्मरथ तो कुछ अलग ही प्रकार का है 

शौर्य और धैर्य उस रथ के दो पहिए हैं।  युद्ध के रथों में दो पहिए ही होते हैं सत्य और शील उसकी मजबूत ध्वजा, पताका हैं। सदा कल्याणकारी सत्य क्रूर नहीं होता तात्विक दृष्टि को सत्य दृष्टि कहते हैं

शील कमजोरी नहीं मृदुता है लेकिन सत्य की आंखें कालनेमि और विभीषण में अंतर करना जानती हैं 


बल, विवेक, दम और परोपकार- ये चार घोड़े हैं

बल आवश्यक है रामत्व आवश्यक है

सत्य मिघ्या जानने का विवेक आवश्यक है

दमन करने की शक्ति भी जरूरी है


आचार्य जी ने परोपकार को भी स्पष्ट किया


 रथ ऐसा है जो क्षमा, दया,समता रूपी लगामों से संयुत है

आचार्य जी ने इसकी व्याख्या में क्या कहा जानने के लिये सुनें