11.1.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 11-01- 2023 का भाव विचार का सम्मिश्रित यज्ञ

 प्रस्तुत है चिरजीवी हनुमान जी की प्रेरणा से नयज्ञ ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 11-01- 2023 

 का  भाव विचार का सम्मिश्रित यज्ञ 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

  531 वां सार -संक्षेप


¹ दूरदर्शी



मनुष्य जब मन को चलायमान करता है तो उसके सामने  भूत वर्तमान भविष्य के अनेक दृश्य सामने आते हैं

 मन में भाव विचार योजनाएं बनती हैं मन काल्पनिक लोक में भी विचरण करता है

आचार्य जी के मन में भी समाज हित के राष्ट्र हित के हम लोगों के हित के बहुत से भाव विचार आते हैं


आचार्य जी ने परामर्श दिया कि गीता के तीसरे अध्याय में तीसरे छन्द से इक्कीसवें छन्द तक को कई बार पढ़ें जिससे हम लोगों को लाभ मिलेगा


ज्ञानियों की निष्ठा ज्ञानयोग से तो योगियों की निष्ठा कर्मयोग द्वारा होती है।


लोकेऽस्मिन्द्विविधा निष्ठा पुरा प्रोक्ता मयानघ।


ज्ञानयोगेन सांख्यानां कर्मयोगेन योगिनाम्।।3.3।।




यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।


स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।3.21।।


यह इक्कीसवां छन्द इस समय विद्यालय के प्रवेश द्वार के पीछे लिखा हुआ है

अपने भाव को भूलकर समर्पित करने की स्थिति ही यज्ञ है



आइये चलते हैं लंका कांड में

रावण ने यज्ञ प्रारम्भ कर दिया है



तामसी यज्ञ द्वारा वह भगवान् राम को जीतने के लिये शक्ति अर्जित करना चाह रहा है

प्रात होत प्रभु सुभट पठाए। हनुमदादि अंगद सब धाए॥



सात्विक शक्तियां बिना शंका के भवन में पहुंच गईं 

पैठे रावन भवन असंका॥



अरे  निर्लज्ज!

युद्धभूमि से घर भाग आया और यहाँ आकर बगुले की तरह ध्यान लगाकर बैठा है ऐसा कहकर अंगद ने लात मार दी



फिर भी वह विचलित नहीं हुआ तो



नहिं चितव जब करि कोप कपि गहि दसन लातन्ह मारहीं।

धरि केस नारि निकारि बाहेर तेऽतिदीन पुकारहीं॥

तब उठेउ क्रुद्ध कृतांत सम गहि चरन बानर डारई।

एहि बीच कपिन्ह बिधंस कृत मख देखि मन महुँ हारई॥


इसके बाद देवताओं ने विनती की कि अब रावण को नष्ट करने का समय आ गया है


प्रभु राम युद्ध के लिये तैयार हो जाते हैं


जोशीमठ, भैया सूरज पटेल भैया मोहन का नाम आचार्य जी ने क्यों लिया आदि जानने के लिये यह संप्रेषण सुनें


विशेष :सदाचार संप्रेषण अवश्य सुनें