12.1.23

प्रस्तुत है चिरजीवी हनुमान जी की अहैतुकी कृपा से नयकोविद् ¹ असामान्य आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 12-01- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है चिरजीवी हनुमान जी की अहैतुकी कृपा से  नयकोविद् ¹ असामान्य आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 12-01- 2023 

 का  सदाचार संप्रेषण 


 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w

  *532 वां* सार -संक्षेप


¹ दूरदर्शी



आचार्य जी हमें संसार के व्यवहार को सुस्पष्ट करते हुए संसार में सफल करते हुए संसारेतर चिन्तन की दिशा दृष्टि देते हुए


इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे।


ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्।।9.1।।



मोह ममता दम्भ आदि विकारों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं  वे शौर्य प्रमंडित अध्यात्म की अनिवार्यता को भी लगातार स्पष्ट कर रहे हैं


भौतिक दृष्टि भौतिक विचार को दरकिनार करते हुए


अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम्।


परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम्।।9.11।।



 आइये लंका कांड में आगे बढ़ते हैं


रावन हृदयँ बिचारा भा निसिचर संघार।

मैं अकेल कपि भालु बहु माया करौं अपार॥88॥


रावण ने अभेद्य माया रचने की योजना बनाई

निराश दंभी रावण को अब अकेलापन महसूस होने लगा था भगवदाश्रित तो वह तब भी होना  नहीं चाहता था


जहां भोग समाहित है वहां ज्ञान तिरोहित है

भोग विलुप्त होने पर ज्ञान के पट खुल जाते हैं

मोघाशा मोघकर्माणो मोघज्ञाना विचेतसः।


राक्षसीमासुरीं चैव प्रकृतिं मोहिनीं श्रिताः।।9.12।।


वृथा आशा, वृथा कर्म और वृथा ज्ञान वाले व्यक्ति राक्षसों के असुरों के मोहित करने वाले स्वभाव को धारण किये रहते हैं


देवताओं में डर बैठा हुआ है तो उन्होंने मातलि सारथी के साथ दिव्य रथ को भेज दिया


भगवान राम ने उसे स्वीकार लिया यह रामत्व है वह स्वयं श्रेय नहीं लेते


मायावी रावण की माया से बहुत से राम-लक्ष्मण देखकर रामादल के सदस्य  डर गए।



तब


बहुरि राम सब तन चितइ बोले बचन गँभीर।

द्वंदजुद्ध देखहु सकल श्रमित भए अति बीर॥89॥



प्रभु राम सबकी ओर देखकर बोले- हे वीरों! तुम सब थक गए हो,  अब मेरा और रावण का युद्ध देखो

प्रभु राम अपने सारे गुरुओं को प्रणाम करते हैं शक्तिसम्पन्न होने के बाद भी भक्ति में कोई कमी नहीं यह रामत्व है


अधिक विस्तार से जानने के लिये यह संप्रेषण अवश्य सुनें