प्रस्तुत है हनुमान जी की कृपा से ज्ञान -वेशक ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 16-01- 2023
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
*536 वां* सार -संक्षेप
¹ ज्ञान का घर
इस सदाचार वेला से हम सत् असत् का सांकेतिक चिन्तन करते हैं जिसका विस्तार हम अपनी रुचि के अनुसार कर सकते हैं
भाव की भक्ति ज्ञान पैदा करती है और स्वार्थ की भक्ति साधन एकत्र करती है
इस समय ऐसे लोगों की भीड़ है जिनका कोई उद्देश्य नहीं रहता वे व्यर्थ में अपना समय गंवाते रहते हैं हम उस भीड़ का हिस्सा न बनें
यह भाव भाषा बुद्धि विचार हमारा होना चाहिये
आचार्य जी ने
विश्व वेदान्त संस्थान (संस्थापक आनंद जी महाराज ) द्वारा अयोध्या में आयोजित श्री राम अश्वमेध यज्ञ (1 से 4 दिसंबर 2018)के एक पाठ की चर्चा की जिसके सुनने से स्वास्थ्य ठीक रहता है
इसके अतिरिक्त
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि गीता के तीसरे और चौथे अध्याय को विचारपूर्वक पढ़ें
आइये चलते हैं लंका कांड में
संभारि श्रीरघुबीर धीर पचारि कपि रावनु हन्यो।
महि परत पुनि उठि लरत देवन्ह जुगल कहुँ जय जय भन्यो॥
हनुमंत संकट देखि मर्कट भालु क्रोधातुर चले।
रन मत्त रावन सकल सुभट प्रचंड भुज बल दलमले
प्रभु राम को याद कर हनुमान जी ने ललकारकर रावण को मारा। वे दोनों पृथ्वी पर गिरते उठते लड़ते हैं
देवताओं ने दोनों की जय जयकार की
शिव शक्ति और वैष्णवी शक्ति का सामञ्जस्य इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है कि ज्ञानी आनन्द में रहते हैं और भक्त मस्त रहते हैं
शिव जी से वरदान प्राप्त कर जब रावण दुष्टता दिखाने लगा तो भगवान् राम की सहायता के लिये शिव जी हनुमान जी का रूप धारण कर उसी रावण से युद्ध करते हैं
हनुमान पर संकट देखकर रामादल के अन्य योद्धा दौड़े, किंतु रावण ने सब योद्धाओं को अपने प्रचंड भुजबल से कुचल मसल डाला।
भगवान् के ललकारने पर प्रचंड वीर दौड़े। वीरों के प्रबल दल को देखकर रावण ने माया प्रकट कर दी
युद्ध चल रहा है
सुर बानर देखे बिकल हँस्यो कोसलाधीस।
सजि सारंग एक सर हते सकल दससीस॥ 96॥
देवताओं और वानरों को व्याकुल देखकर प्रभु राम हँसे और अपने धनुष पर एक बाण चढ़ाकर सब रावणों को मार डाला॥
प्रभु छन महुँ माया सब काटी। जिमि रबि उएँ जाहिं तम फाटी॥
रावनु एकु देखि सुर हरषे। फिरे सुमन बहु प्रभु पर बरषे॥
और विस्तार से जानने के लिये यह संप्रेषण अवश्य सुनें