सब जानत प्रभु प्रभुता सोई। तदपि कहें बिनु रहा न कोई॥
तहाँ बेद अस कारन राखा। भजन प्रभाउ भाँति बहु भाषा॥1॥
प्रस्तुत है अखंड राम जप करने वाले हनुमान जी की कृपा से कुलालम्बिन् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 19-01- 2023
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
*539 वां* सार -संक्षेप
¹परिवार का पालन पोषण करने वाला
संकट के समय समाज का सहारा बन सकें यह रामत्व हमें धारण करना होगा
मध्य वर्ग में रहते हुए उच्च अवस्था को प्राप्त करने के लिये सतत प्रयत्नशील रहें
और भावक और भावुकों हेतु लिखे गये रामचरित मानस को अपने स्तर से न जानकर अलग स्तर पर जाकर जानने का संकल्प लेकर
जब कि गीता में कहा गया है
यस्य सर्वे समारम्भाः कामसङ्कल्पवर्जिताः।
ज्ञानाग्निदग्धकर्माणं तमाहुः पण्डितं बुधाः।।4.19।।
..
(ज्ञानियों के लिये पण्डित अर्थात् बुद्धिमान वह है जिसके सारे कर्म बिना कामना और संकल्प के हैं और जिसके सारे कर्म ज्ञान रूपी अग्नि से दग्ध हैं
जो पुरुष, कर्मफल की आसक्ति त्याग कर, सदैव तृप्त और सब आश्रयों से रहित है वह कर्म में रत होते हुए भी कुछ नहीं करता है।
जो पुरुष आशा रहित है जिसके चित्त, आत्मा संयमित हैं , जिसने सब परिग्रह त्याग दिये हैं ,वह शारीरिक कर्म करते हुए भी पाप को नहीं प्राप्त होता है)
चलते हैं लंका कांड में चैतन्य के द्योतक राम और संपूर्ण विश्व को दुःख देने वाले रावण के युद्ध
श्रीराम रावन समर चरित अनेक कल्प जो गावहीं।
सत सेष सारद निगम कबि तेउ तदपि पार न पावहीं॥2॥
में
विकार और विचार का, सत और असत का संघर्ष ही है राम रावण युद्ध जहां रावण दम्भ तो राम उस दम्भ के निराकरण के आधार
तेही निसि सीता पहिं जाई। त्रिजटा कहि सब कथा सुनाई॥
सिर भुज बाढ़ि सुनत रिपु केरी। सीता उर भइ त्रास घनेरी॥
ये माया की सीता हैं
राम जी ने कहा था जब तक निशाचरों का नाश मैं न कर दूं तुम अग्नि में प्रविष्ट रहो
मृगछाला से मोहित होने वाली मायामय सीता चिन्तित हैं कि रावण का नाश कैसे होगा मूल सीता निश्चिन्त हैं
इसके अतिरिक्त
माध्यमिक शिक्षा और मेरुदंड के लिये आचार्य जी ने क्या बताया जानने के लिये सुनें