श्रीराम रावन समर चरित अनेक कल्प जो गावहीं।
सत सेष सारद निगम कबि तेउ तदपि पार न पावहीं॥2॥
प्रस्तुत है अतिशयन¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 23 -01- 2023
राष्ट्रीय पराक्रम दिवस
( हम शक्ति शौर्य संकल्प पराक्रम से अभिमंत्रित हों,
आवेग अपार धार कर अपने आप नियंत्रित हों। )
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
543 वां सार -संक्षेप
¹प्रमुख
इन सदाचार संप्रेषणों के आशय को विस्तार से समझकर अपने जीवन के व्यवहार में संपादित करने का हम लोग लक्ष्य बनायें
हम लोग राष्ट्रार्पित विचारों (जिसमें एक विचार, अखंड भारत का अस्तित्व हो, है) ,सनातन धर्मी विचारों(
अच्छी तरह आचरण में लाये हुए परधर्म से गुणों की कमी वाला अपना धर्म ही श्रेष्ठ है। अपने धर्म में मरना भी कल्याणकारक है और परधर्म भय को देने वाला है।
हम रामात्मक लोगों के समाज में अनुशासन है जब कि जिस समाज में रावणत्व का प्रवेश है वहां अनुशासन नहीं दिखता )
को स्वयं पल्लवित करते हुए नई पीढ़ी को इससे अवगत करायें
हमारा चिन्तन राष्ट्रोन्मुखी और सदाचार से सम्मिश्रित रहे आचार्य जी का यही प्रयास रहता है
गीता में
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा।
निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः।।3.30।।
ये मे मतमिदं नित्यमनुतिष्ठन्ति मानवाः।
श्रद्धावन्तोऽनसूयन्तो मुच्यन्ते तेऽपि कर्मभिः।।3.31।।
सारे कर्मों का मुझ में संन्यास करके, आशा और ममता से रहित और संताप रहित हुए तुम युद्ध करो
मेरे इस मत का जो व्यक्ति दोष-दृष्टि से रहित होकर श्रद्धापूर्वक ( श्रद्धावान् लभते ज्ञानं ) सदा अनुसरण करते हैं, वे कर्मों के बन्धन से छूट जाते हैं
लंका कांड में
रावण, जिसके रावणत्व ने संपूर्ण संसार को परेशान कर रखा था,जब मरता है
तासु तेज समान प्रभु आनन। हरषे देखि संभु चतुरानन॥
जय जय धुनि पूरी ब्रह्मंडा। जय रघुबीर प्रबल भुजदंडा॥
भारतवर्ष की भूमि भक्ति विचार आर्ष परम्परा हमें इस बात को समझने में सहायता प्रदान करती है कि यह संसार वास्तव में अद्भुत है सांसारिक बल काम नहीं देता
भारतवर्ष की भूमि राम रावण का युद्ध है
उसी रावण की पत्नी मन्दोदरी, जिसमें रामत्व का प्रवेश है,कहती है
भुजबल जितेहु काल जम साईं। आजु परेहु अनाथ की नाईं॥
राम बिमुख अस हाल तुम्हारा। रहा न कोउ कुल रोवनिहारा॥
काल बिबस पति कहा न माना। अग जग नाथु मनुज करि जाना॥
मन्दोदरी का ज्ञान जाग्रत है वो भगवान् को कोस नहीं रहीं
इसी सकारात्मक वैशिष्ट्य के कारण मन्दोदरी चर्चित हैं
इसके अतिरिक्त भैया रामेन्द्र जी और भैया पवन जी कल कहां गये थे जानने के लिये सुनें