मीन कमठ सूकर नरहरी। बामन परसुराम बपु धरी॥
जब जब नाथ सुरन्ह दुखु पायो। नाना तनु धरि तुम्हइँ नसायो॥4॥
प्रस्तुत है अभिनीत ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 27 -01- 2023 का सदाचार संप्रेषण
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547 वां सार -संक्षेप
¹ कृपालु, दयालु
यह देश अद्भुत शक्ति भक्ति विरक्ति से संयुक्त है
यह विश्व के कल्याण हित आजन्मरत आयुक्त है
इस देश में जन्में जिएं इस देश हित जूझें सदा
इस देश की सारी समस्याएं गुनें बूझें सदा
वाणी यज्ञ द्वारा आचार्य जी अपने साथ हम लोगों को भी देश के लिये जूझने के लिये प्रेरित करते हैं हम समाज देश के लिये समस्या न बनें इसके लिये आचार्य जी हमें सन्मार्ग पर चलने के लिये प्रेरित करते हैं
हम लोग स्वयं तो अपनी समस्याएं सुलझा ही लें समाज और राष्ट्र की समस्याओं को सुलझाने में भी सहायक बन सकें
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः वाला भाव रखते हुए हम दंभी से विवेकी बनने का प्रयास करें इन सदाचार संप्रेषणों का मूल भाव यही है
हम अध्यात्मवादी लोगों में यह विश्वास रहता है कि जो कुछ भी संसार में घट रहा है सब परमात्मा की लीला है
श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानाद्ध्यानं विशिष्यते।
ध्यानात्कर्मफलत्यागस्त्यागाच्छान्तिरनन्तरम्।।12.12।।
अभ्यास से ज्ञान श्रेष्ठ, ज्ञान से श्रेष्ठ ध्यान, ध्यान से भी श्रेष्ठ कर्मफल त्याग, त्याग से तत्काल शान्ति की प्राप्ति होती है
हम कर्म करें फल की इच्छा न करें
सीमित आवश्यक साधनों की अपेक्षा रख कर्मरत रहें
साधनों के स्थान पर साधना में रत होने वाला रामत्व हम धारण करें भगवान राम ने अनगिनत संकट झेले लेकिन अपनी साधना नहीं त्यागी
आइये चलते हैं लंका कांड में
प्रभु के बचन श्रवन सुनि नहिं अघाहिं कपि पुंज।
बार बार सिर नावहिं गहहिं सकल पद कंज॥ 106॥
भगवान् ने सारी सेना का धन्यवाद दिया
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने लंका कांड में आगे क्या बताया
समाजवादी नेता मुलायम सिंह को पद्म विभूषण से सम्मानित करने पर आचार्य जी क्या बोले जानने के लिये सुनें